शिनच्यांग से संबंधित अफ़वाह फैलाकरचीन को बदनाम
करना अमेरिका के कुछ राजनीतिज्ञों की अभ्यस्त चाल है। मौजूदा सत्र की सरकार का
कार्यकाल समाप्त होने वाला है, कुछ लोगों का अभिनय ज्यादा मजबूत हो रहा है।
उन्होंने शिनच्यांग से संबंधित अधिनियम पेश कर तथाकथित“नस्लवादीविनाश”वाली अफ़वाह फैलाकरचीन सरकार से जिम्मेदारीलेने को कहा।
क्या चीन में नस्लवाद विनाशकारी है या नहीं ?जनसंख्या का डेटा सबसे पक्का सबूत है। शिनच्यांगवेवुरस्वायत्त
प्रदेश के स्थानीय अधिकारी ने हाल में 30 से अधिक विदेशी मीडिया के संवाददाताओं को
परिचय देते हुए कहा कि चीन सरकार की सक्रिय और कारगर नीति से लाभ उठाकर 2010 से
2018 तक, शिनच्यांग में वेवुरजाति की आबादी 1 करोड़ 1 लाख 70 हज़ार से बढ़कर 1
करोड़ 27 लाख 20 हज़ार तक पहुंच गई, जिसकी वृद्धि दर 25.04 प्रतिशत है। वेवुरजाति
की जनसंख्या में इतनी बड़ी बढ़ोतरी से जाहिर है कि अमेरिकी राजनीतिज्ञों के
उपरोक्त कथन बिलकुल निराधार हैं।
वास्तव में, नस्लवादी विनाश अमेरिका में ही
मौजूद है, जिसके मानवाधिकार क्षेत्र में कई बुराइयां मौजूद हैं।“नस्लवाद अमेरिका की मुख्य और स्थायी विशेषता है।”अमेरिकी विद्वान डेरिकबेल का यह निष्कर्ष इतिहास और वास्तविकता द्वारा साबित हो चुका है।
अमेरिका कहता है कि
वह मुस्लिमदेशों का दोस्त है। लेकिन वह
हमेशा इसके विपरीत कार्रवाई करता है। इधर के सालों में अमेरिका सरकार ने आतंक के
विरोध के नाम पर इराक, सीरिया, लीबिया, अफ़गानिस्तान आदि मुस्लिम देशों में युद्ध
छेड़ा, जिससे लाखों बेगुनाह लोग हताहत हुए। यहां तक कि साल 2017 में अमेरिकी
राजनीतिज्ञों ने मुस्लिम देशों के खिलाफ़“मुस्लिमप्रतिबंध”वाला आदेश जारी किया, जो अंतरराष्ट्रीय
मानवाधिकार के इतिहास में एककालापृष्ठबन गया, जिसकी अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने एक
स्वर में निंदा की।
वहीं, अमेरिका के भीतर मुसलमानों की स्थिति भी
खराब है। प्यूरिसर्चसेंटर द्वारा 2017 के शुरु में जारी एक सर्वेक्षण के मुताबिक,
75 प्रतिशत अमेरिकी वयस्क मुसलमानों ने कहा कि समाज में मुसलमानों के खिलाफ़
भेदभाव मौजूद है। उधर, इस्लामिक संबंधों पर अमेरिकी परिषद ने 2018 में रिपोर्ट जारी कर
कहा कि साल 2016 के बाद से अमेरिका में मुस्लिम विरोधी दलों की संख्या दो गुना
बढ़ी है। 2017 में अमेरिका में मुसलमान विरोधी घटनाओं को एकतिहाई से अधिक संघीय सरकार की एजेंसियों द्वारा उकसाया गया था।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइकपोम्पिओ कहते हैं कि वे शिनच्यांगवेवुर
लोगों के अधिकारों व हितों का ख्याल रखते हैं। लेकिन वास्तव में वे मुसलमान से भेदभाव
करने वाले हैं। पोम्पिओ अपने देश में मुसलमानों
सहित अल्पसंख्यकों को नकारते हैं और मुसलमानों के आव्रजन पर प्रतिबंध लगाने के
समर्थक हैं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीवन केलमैन ने गत वर्ष सितंबर में
इन्टरव्यू देते समय कहा था कि पोम्पिओ अरब देशों के किसी भी मुसलमान को पसंद नहीं
करते, लेकिन वे हमेशा चीन के शिनच्यांग के मुसलमानों को अपनीज़ुबान पर रखते हैं।
यह बहुत अजीब बात है।
जरा सोचें कि अपने देश में मुसलमानों के प्रति
भेदभाव करने वाले राजनीतिज्ञ शिनच्यांगवेवुर लोगों के हितों पर कैसे सदिच्छापूर्ण
ख्याल रखते हैं?अपने देश में रेड
इंडियन्स की दुर्दशा की अनदेखी करने वाले अमेरिकी
राजनीतिज्ञ तथाकथित शिनच्यांगवेवुर लोगों पर ध्यान देते हैं, यह सचमुच बहुत बेशर्मी
की बात है।
अमेरिकी राजनीतिज्ञ
चीन में अल्पसंख्यक जातियों के अधिकारों के संरक्षण की चर्चा करने केलिए पूरी तरह से अयोग्य हैं। उन्हें अंतरराष्ट्रीय न्याय और नैतिकता के उल्लंघन वाली खराब
नस्लवादी कार्रवाई की ज़िम्मेदारी उठानी चाहिए।
(साभार-चाइनामीडियाग्रुप, पेइचिंग)