गाजीपुर बॉर्डरः नए कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली में किसानों ने अपनी हुंकार भर ली है। बीते 17 दिनों से लगातार किसान सिंघु, टिकरी, चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर पर अपना डेरा डाले हुए हैं। वहीं इन बोर्डरों पर किसानों को खाना खिलाने के लिए लंगर चलाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, इन लंगरों में अब अलग-अलग तरह के व्यंजन भी तैयार किए जा रहे हैं, जिसकी खुशबू गाजीपुर बॉर्डर पर महक रही है। सुबह उठने के साथ ही किसान अपने अन्य साथियों के लिए नाश्ते में विभिन्न तरह के स्नैक्स तैयार करते हैं, जिसमें आलू, गोबी और ब्रेड पकोड़े शामिल है। वहीं पकौड़ों के साथ अपने अपने गांव से लाए भैंस के दूध की चाय भी परोसी जाती है।
हर दिन बदला जा रहा मैन्यू
पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के विभिन्न जगहों के किसानो के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा अन्य जगहों से भी लंगर सेवा में सहयोग किया जा रहा है और यही कारण है कि लंगर में विभिन्न तरह के पकवान प्रदर्शनकारियों के लिए बन रहे हैं। समय बीतने के साथ साथ किसानों ने लंगर सेवा में दाल, कढ़ी, खीर, गाजर वाली खीर भी शामिल कर रखी है। वहीं हर दिन मैन्यू भी बदला जा रहा है। किसी दिन गाजर का हलवा तो किसी दिन गन्ने की रस वाली खीर तैयार की जाती है। बॉर्डर पर अन्य किसानों के लिए लंगर तैयार कर रहे एक किसान ने बताया "रविवार हम लोग किसान भाइयों के लिए जलेबी बनाएंगे।"गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के लिए दिल्ली के कई गुरुद्वारों से लंगर सेवा की जा रही है। इस सेवा कार्य में स्थानीय लोग भी हिस्सा ले रहे हैं और किसानों की सेवा में उतर चुके हैं।
बच्चों को मैगी, मैक्रोनी की सुविधा
दरअसल वर्तमान में बॉर्डर पर कई स्टॉल लगा दिए गए हैं। जहां लंगर चलता रहता है आस पास मौजूद गुरुद्वारे की गाड़ियों में बर्तन और अन्य खाने की सामग्री लगातार पहुंचती रहती है ताकि किसी भी चीज की कमी न हो। बॉर्डर पर हर दिन खाने के लिए कुछ न कुछ नया बनता रहता है। यही नहीं आस पास के इलाकों में रहने वाले बच्चे भी इन सभी व्यंजनों का खूब लुत्फ उठा रहे हैं। बच्चों को मैगी, मैक्रोनी, सेब, संतरे और जूस भी मिलते रहते हैं।
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