चंडीगढ़ः शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने आज कहा कि भूपेंद्र सिंह मान को सुप्रीम कोर्ट की गठित समिति से खुद को अलग करने के बजाय कृषि कानूनों के खिलाफ मुखर होना था। शिअद नेता महेशइंदर सिंह ग्रेवाल के यहां जारी बयान के अनुसार समिति से अलग होकर श्री मान ने किसान संगठनों के पक्ष को कमज़ोर ही किया है क्योंकि समिति में पहले से कानूनों के समर्थक हावी हैं।
उन्होंने समिति के दूसरे सदस्य अशोक गुलाटी की भी आलोचना की कि खुले आम कृषि कानूनों का समर्थन करने के बावजूद उन्होंने समिति में होना स्वीकार कर लिया। ग्रेवाल ने आरोप लगाया कि समिति से खुद को अलग करते हुए श्री मान का यह कहना कि वह पंजाब के हितों से समझौता नहीं करना चाहते दर्शाता है कि उन पर केंद्र व प्रदेश सरकार का दबाव था कि निर्णय कृषि कानूनों के पक्ष में हो। उन्होंने कहा कि लेकिन इसके बावजूद उन्हें समिति छोड़नी नहीं चाहिए थी और कृषि कानूनों के विरोध में खड़े होना था।
शिअद नेता ने दावा किया कि मान के समिति से खुद को अलग करने के निर्णय ने भाजपा और कांग्रेस के ‘खेल‘ को बेनकाब कर दिया। उन्होंने कहा कि समिति की विश्वसनीयता खतरे में पड़ गई है खासकर यह देखते हुए कि किसान संगठनों ने उनके सामने जाने से मना कर दिया है।