हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 23 मार्च 2022
सलोकु ॥ किआ सुणेदो कूड़ु वंञनि पवण झुलारिआ ॥ नानक सुणीअर ते परवाणु जो सुणेदे सचु धणी ॥१॥ छंतु ॥ तिन घोलि घुमाई जिन प्रभु स्रवणी सुणिआ राम ॥ से सहजि सुहेले जिन हरि हरि रसना भणिआ राम ॥ से सहजि सुहेले गुणह अमोले जगत उधारण आए ॥ भै बोहिथ सागर प्रभ चरणा केते पारि लघाए ॥ जिन कंउ क्रिपा करी मेरै ठाकुरि तिन का लेखा न गणिआ ॥ कहु नानक तिसु घोलि घुमाई जिनि प्रभु स्रवणी सुणिआ ॥१॥
हे भाई! नास्वंत पदार्थों की बात क्या सुनता है? (यह पदार्थ तो) हवा के झोंको की तरहां चले जाते हैं। हे नानक! (सिर्फ) वह कान (परमात्मा की हजूरी में) कबूल हैं जो सदा रहने वाले परमात्मा (की सिफत-सलाह)को सुनते हैं।१। छंतु। हे भाई! जिन लोगो ने अपने कानो से प्रभु (का नाम) सुना है, उनसे तो मैं कुर्बान जाता हूँ। जो मनुख अपने जिव्हा से परमात्मा का नाम जपते हैं वह आत्मिक अडोलता में टिक के सुखी रहते हैं। वह मनुख आत्मिक अडोलता में टिक के सुखी जीवन जीते हैं, वेह अमोलिक गुणों वाले हो जाते हैं, वह तो जगत को संसार-समुन्दर से पार निकालने के लिए आते हैं। मेरे मालिक प्रभु ने जिस के ऊपर कृपा (की नजर) की, उनके कर्मो का हिसाब उसने छोड़ दिया। हे नानक! कह-मैं उस मनुख से सदके कुर्बान जाता हूं जिस ने अपने कानो से परमात्मा (की सिफत सलाह) को सुना है।१।