नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कमेटी और कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) कमेटी में पंजाब को प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने पर आज संसद में अपना विरोध दर्ज कराया। विक्रमजीत ने तब हस्तक्षेप किया, जब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर संसद में एमएसपी से जुड़े के एक सवाल पर जवाब दे रहे थे।
विक्रमजीत साहनी ने बताया कि एमएसपी कमेटी में जम्मू-कश्मीर और मध्य प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों को प्रतिनिधित्व दिया गया है, जबकि कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और उड़ीसा के कृषि विभागों के कमिश्नरों को शामिल किया गया है। जबकि एमएसपी कमेटी में पंजाब से कोई प्रतिनिधित्व न तो पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ, न ही पंजाब के कृषि कमिश्नर को शामिल किया गया है। इसके बावजूद कि पिछले एक दशक से अधिक समय से एमएसपी के तहत खरीद में पंजाब का सबसे बड़ा योगदान रहा है, जो पंजाब को इस विषय पर सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर बनाता है।
इस बीच सीएसीपी के बारे में बोलते हुए, जो आयोग एमएसपी निर्धारित करता है, विक्रमजीत ने जिक्र किया कि पंजाब से भी कोई प्रतिनिधित्व नहीं है और वास्तव में गैर-सरकारी सदस्यों के दो पद जो किसानों के प्रतिनिधियों के लिए रिजर्व हैं, वे भी पिछले कई वर्षों से खाली पड़े हैं। उन्होंने इस मामले को मानसून सत्र में भी उठाया था, जहां कृषि मंत्री ने अपने जवाब में स्वीकार किया था कि सीएसीपी में दो पद खाली हैं, लेकिन उन्होंने पंजाब के किसानों को प्रतिनिधित्व देने पर कोई टिप्पणी नहीं की थी। जबकि आज के जवाब में भी इस सवाल पर वही जवाब था।