क्या है जल्लीकट्टू? लोग करते हैं बैलों की पूजा, मरने पर मुंडवाते है सिर

नई दिल्ली: ‘जल्लीकट्टू’ तमिलनाडु का सबसे प्रसिद्ध खेल है। इस खेल में बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है। यह खेल पोंगल त्यौहार पर आयोजित कराया जाता हैं। ‘जल्लीकट्टू’ एक तमिल शब्द है जो कि ‘कालीकट्टू’ से बना है। ‘काली’ का मतलब कॉइन यानी सिक्का और ‘कट्टू’ का मतलब गिफ्ट होता है। जल्लीकट्टू की.

नई दिल्ली: ‘जल्लीकट्टू’ तमिलनाडु का सबसे प्रसिद्ध खेल है। इस खेल में बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है। यह खेल पोंगल त्यौहार पर आयोजित कराया जाता हैं। ‘जल्लीकट्टू’ एक तमिल शब्द है जो कि ‘कालीकट्टू’ से बना है। ‘काली’ का मतलब कॉइन यानी सिक्का और ‘कट्टू’ का मतलब गिफ्ट होता है। जल्लीकट्टू की तैयारियां जोरों पर हैं। मंदिर सजाए जा रहे हैं, बैलों को हमला करने की ट्रेनिंग दी जा रही है। जल्लीकट्टू खेल में एक एंट्री गेट से बैलों को छोड़ा जाता है। जो शख्स 15 मीटर के दायरे में बैल को पकड़ लेता है, वह विजेता हो जाता है।

आपको बता दें कि तमिलनाडु के लोग बैल की पूजा करते हैं। इंसानों की तरह उनके मरने पर भी रिश्तेदारों को शोक संदेश भेजते हैं। बैलों के मृत शरीर को फूलों से सजाया जाता है। इंसानों की तरह जनाजा निकालते हैं और पवित्र जगह पर दफनाते हैं। घर लौटने के बाद लोग अपना सिर मुंडवाते हैं। गांव के लोगों को मृत्यु भोज देते हैं। कुछ दिनों बाद उस बैल का मंदिर भी बनाते हैं और हर साल उसकी पूजा करते हैं।

जल्लीकट्टू में हिस्सा लेने वाले बैलों से कोई अन्य काम नहीं करवाया जाता। इनका इस्तेमाल सिर्फ खेल के लिए ही होता है। बाकी पूरे साल ये आराम करते हैं। बैलों की कीमत की बात करें तो इनकी कीमत लाखों में होती है। कई लोग तो मुंह मांगी कीमत देने को तैयार होते हैं।’

 

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