विकास को लेकर आशान्वित RBI ने कहा भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत

नई दिल्ली: आरबीआई के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल तत्व मजबूत और रेसिलियन्ट हैं और यह मजबूत वैश्विक विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहा है। ये केंद्रीय बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के विचार हैं, जिसने आर्थिक विकास की आशा जताई है। ‘‘वैश्विक अर्थव्यवस्था बड़े पैमाने पर मंदी के जोखिमों के साथ विकट विपरीत परिस्थितियों.

नई दिल्ली: आरबीआई के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल तत्व मजबूत और रेसिलियन्ट हैं और यह मजबूत वैश्विक विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहा है। ये केंद्रीय बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के विचार हैं, जिसने आर्थिक विकास की आशा जताई है। ‘‘वैश्विक अर्थव्यवस्था बड़े पैमाने पर मंदी के जोखिमों के साथ विकट विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रही है। कई झटकों के परस्पर क्रिया के परिणामस्वरूप वित्तीय स्थिति कड़ी हो गई है और वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई है।’’

आरबीआई ने कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत वैश्विक विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रही है। फिर भी ठोस मैक्रोइकॉनॉमिक फंडामेंटल और स्वस्थ वित्तीय और गैर-वित्तीय क्षेत्र की बैलेंस शीट ताकत और लचीलापन प्रदान कर रहे हैं और वित्तीय प्रणाली को स्थिरता प्रदान कर रहे हैं।’’इसमें कहा गया है कि बैंक ऋण की बढ़ती मांग और निवेश चक्र में पुनरुद्धार के शुरुआती संकेत संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार, लाभाप्रदता पर वापसी और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की मजबूत पूंजी और लिक्यिडिटी बफर से लाभान्वित हो रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2022 में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का ग्रास नॉन-परफोर्मिंग एसेट (जीएनपीए) अनुपात सात साल के निचले स्तर 5.0 प्रतिशत पर आ गया और नेट नॉन-परफोर्मिंग एसेट्स (एनएनपीए) दस साल के निचले स्तर 1.3 प्रतिशत पर आ गई।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने उसी रिपोर्ट के फॉरवर्ड में उल्लेख किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था लचीलेपन की एक तस्वीर प्रस्तुत करती है और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखा गया है।

उन्होंने आगे कहा कि भारत के बाहरी खाते अच्छी तरह से सुरक्षित और व्यवहार्य बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि 2023 में, भारत अपने जी20 अध्यक्षता के हिस्से के रूप में विश्व स्तर पर अग्रणी निभाने के लिए अच्छी स्थिति में है।दास ने कहा, ‘‘एक समूह के रूप में जी20 के लिए सबसे बड़ी चुनौती बहुपक्षवाद की प्रभावकारिता को फिर से स्थापित करना है।

घरेलू मोर्चे पर, हम वैश्विक जोखिमों की अस्थिर करने वाली क्षमता को पहचानते हैं, भले ही हम भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक फंडामेंटल्स से ताकत प्राप्त करते हैं।’’उन्होंने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था के सर्वोत्तम हित में, जब भी आवश्यक हो, उचित हस्तक्षेप के माध्यम से हमारी वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और सुदृढ़ता सुनिश्चित करने के लिए रिजर्व बैंक और अन्य वित्तीय नियामक सतर्क और तत्पर रहते हैं।’’

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