लोकमत का आधिपत्य के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए

आज की दुनिया में मीडिया और लोकमत का अधिकार काफी हद तक ए अमेरिका और पश्चिम के हाथ में काबू किया गया है। हालांकि, अमेरिका और पश्चिम द्वारा नियंत्रित मीडिया और लोकमतों में दुनिया के रंग वह नहीं हैं जो वे वास्तव में होते हैं। बहुत से लोग पश्चिमी मीडियाओं के जरिये दुनिया को देखते.

आज की दुनिया में मीडिया और लोकमत का अधिकार काफी हद तक ए अमेरिका और पश्चिम के हाथ में काबू किया गया है। हालांकि, अमेरिका और पश्चिम द्वारा नियंत्रित मीडिया और लोकमतों में दुनिया के रंग वह नहीं हैं जो वे वास्तव में होते हैं। बहुत से लोग पश्चिमी मीडियाओं के जरिये दुनिया को देखते हैं और पश्चिमी मीडिया द्वारा उनमें डाली गई हर चीज को स्वीकार करते हैं, लेकिन वास्तविक दुनिया को बहुत विकृत कर दिया गया है।

अमेरिका और पश्चिम अपने हाथ में नियंत्रित मीडिया का उपयोग आधिपत्य का प्रयोग करने के लिए करते हैं, जबकि नव उभरती अर्थव्यवस्थाओं के खिलाफ लगातार विकृत और बदनाम किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, चाहे वह चीन के तिब्बत और झिंजियांग के मुद्दों पर हो, या चीन की महामारी-रोधी नीतियों पर, अमेरिका और पश्चिम हमेशा अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रवचन शक्ति का उपयोग कर सत्य की उपेक्षा करते हैं, दुर्भावनापूर्ण रूप से सभी प्रकार की अफवाहें फैलाते हैं, चीन को बदनाम करते हैं।

आज अमेरिका न केवल राजनीतिक और सैन्य रूप से दुनिया में अपना दबदबा खो रहा है, बल्कि उसे अर्थशास्त्र, व्यापार और यहां तक कि उच्च तकनीक के क्षेत्रों में उभरते देशों को भी रास्ता देना पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों में, अंतरराष्ट्रीय लोकमत उनके लिए सख्त संघर्ष करने के लिए एक महत्वपूर्ण जगह बन गई है, और उन्हें जनता की राय को नियंत्रित करके अपने आधिपत्य के लक्ष्यों को प्राप्त करना होगा। उदाहरण के लिए, न्यू कोरोना वायरस महामारी के संबंध में, अमेरिका के नेतृत्व वाला पश्चिम के चीन विरोधी ताकतों ने वायरस के स्रोत के सवाल पर चीन के खिलाफ आरोप लगाया, और फिर महामारी की रोकथाम और नियंत्रण उपायों पर चीन को बदनाम किया। इस संबंध में, चीन ने वास्तविक और वस्तुनिष्ठ वायरस ट्रेसबिलिटी जांच डेटा के साथ घटना की प्रकृति का खुलासा किया है, और रोकथाम और नियंत्रण उपायों के वास्तविक प्रभावों के साथ वैज्ञानिक और बलपूर्वक झूठे बयानों का खंडन किया है।

अमेरिका और पश्चिम वर्तमान में पूरी दुनिया पर राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य रूप से शासन करने में असमर्थ हैं, फिर भी सांस्कृतिक और मीडिया क्षेत्रों में इनका वर्चस्व अस्थिर है। पश्चिमी मीडिया के नियंत्रण में, लोकमत तथ्यों पर आधारित नहीं है, बल्कि कुछ ताकतों के मार्गदर्शन से बनता है। नतीजतन, जो मायने रखता है वह यह नहीं है कि सच्चाई क्या है, बल्कि यह है कि इंटरनेट और मीडिया इसे कैसे रिपोर्ट करते हैं। इंटरनेट पर अधिकांश जानकारी पश्चिम से आती है और वे अंग्रेजी में लिखित हैं। लोगों को पश्चिम की आंखों से पूरी दुनिया को देखना पड़ा है, और पश्चिमी जानकारियोंं से निकाले गए निष्कर्ष स्वाभाविक रूप से पश्चिमी जनमत का हिस्सा बन गए हैं। यही है “प्रवचन शक्ति” का “ वर्तमान में, अर्थव्यवस्था, समाज, सैन्य मामलों और कूटनीति जैसे विभिन्न पहलुओं में चीन और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की शक्ति लगातार बढ़ रही है, जो उनकी अंतरराष्ट्रीय लोकमत शक्ति को बढ़ाने की नींव रख रही है। उधर चीन की विकास उपलब्धियों के बारे में चिंता की वजह से, पश्चिमी ताकतें “चाइना थ्रेट थ्योरी” जैसे सिद्धांतों का प्रचार करती हैं, और विकासशील देशों में चीन के डर को भड़काने की पूरी कोशिश करती हैं, ताकि उन पर विकासशील देशों की निर्भरता दीर्घकाल तक रह सके।

महामारी की वजह से वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली की अंतर्निहित खामियों को पूरी तरह से उजागर किया गया है। अमेरिका और पश्चिम की चीन विरोधी ताकतों ने वैश्विक महामारी विरोधी प्रक्रिया में चीन के महान योगदान को जानबूझकर विकृत किया। विश्व के लोग नए प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के पुनर्निर्माण का पुरजोर आह्वान करते हैं जो विभिन्न सांस्कृतिक मान्यताओं का सम्मान और समझ कर सकें। उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक शासन में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए, एक निष्पक्ष और उचित अंतर्राष्ट्रीय संवाद प्रणाली का निर्माण करना चाहिए और बेहतर कल के लिए मानव सभ्यता को बढ़ावा देना चाहिए।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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