क्या Martin Luther King Jr. का सपना सच हुआ ?

सोमवार, 20 जनवरी 1986 को, अमेरिकी नागरिकों ने पहला आधिकारिक मार्टिन लूथर किंग दिवस मनाया, जो अश्वेत अमेरिकी व्यक्ति को सम्मानित करने वाला एकमात्र संघीय दिवस है। मार्टिन लूथर किंग जूनियर दिवस जनवरी में तीसरे सोमवार को मनाया जाता है। बता दें कि 15 जनवरी, 1929 को मार्टिन लूथर किंग जूनियर का जन्म हुआ था,.

सोमवार, 20 जनवरी 1986 को, अमेरिकी नागरिकों ने पहला आधिकारिक मार्टिन लूथर किंग दिवस मनाया, जो अश्वेत अमेरिकी व्यक्ति को सम्मानित करने वाला एकमात्र संघीय दिवस है। मार्टिन लूथर किंग जूनियर दिवस जनवरी में तीसरे सोमवार को मनाया जाता है। बता दें कि 15 जनवरी, 1929 को मार्टिन लूथर किंग जूनियर का जन्म हुआ था, जो अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन के एक प्रसिद्ध नेता थे और उन्होंने 1964 का नोबेल शांति पुरस्कार जीता था। 4 अप्रैल, 1968 को 39 वर्ष की आयु में उनकी श्वेत नस्लवादियों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई।

वे “अहिंसा” और “सीधी कार्रवाई” को सामाजिक परिवर्तन के तरीकों के रूप में बनाने वाले सबसे प्रमुख नेताओं में से एक थे। मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अश्वेतों के लिए समानता की मांग की और अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन शुरू किया। उन्होंने उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल की हैं, जो दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने न केवल राजधानी वाशिंगटन के लिए एक बड़े मार्च का सफल आयोजन किया, बल्कि राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी सहित विभिन्न स्तरीय श्वेत व्यक्तियों के दिलों को गहराई से छुआ। उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस द्वारा नागरिक अधिकार विधेयक को पारित करने में योगदान दिया, जिसने कानूनी रूप से और औपचारिक रूप से अश्वेत अमेरिकियों की भेदभावपूर्ण स्थिति को समाप्त किया। उनके जन्मदिन को एक वैधानिक राष्ट्रीय अवकाश के रूप में बहुत पहले ही स्थापित कर दिया गया था। यह अमेरिका में अत्यंत दुर्लभ भी है। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे महात्मा गांधी की तरह न केवल अपने देश में अंतरात्मा के, बल्कि मानवता के अंतरात्मा के भी प्रतिनिधि बन गए।

28 अगस्त, 1963 को मार्टिन लूथर किंग ने अपना “आई हैव ए ड्रीम” भाषण दिया। अब 59 साल बीत चुके हैं। और क्या अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग का नस्लीय समानता के प्रति सपना सच हो गया है? क्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव और नफरत कम हुई है?

22 मई, 2022 की दोपहर को न्यूयॉर्क के बफ़ेलो शहर में एक दुकान पर गोलीबारी हुई, जिसमें दस लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। मरने वाले सभी अश्वेत व्यक्ति थे। बंदूकधारी 18 वर्षीय पेटन गेंड्रॉन था, और अमेरिकी न्याय विभाग ने इस भयानक घटना को गंभीर नस्लीय घृणा से प्रेरित अपराध कहा। दिलचस्प बात यह है कि कई अश्वेत अमेरिकियों ने पेटन की गिरफ्तारी में पुलिस की भूमिका बताते हुए कहा कि अगर कोई अश्वेत आदमी इस तरह का अपराध करता है, तो पुलिस उसे मौके पर ही गोली मार देती। लेकिन पेटन के मामले में, पुलिस ने उसे अपने हथियार को सौंपने के लिए राजी किया और बड़ी शिष्टता के साथ उसे पकड़ लिया।

अमेरिकी पुलिस पर अफ्रीकी-अमेरिकियों के साथ भेदभाव करने का आरोप कोई नई खबर नहीं है। 2020 में, “ब्लैक लाइव्स मैटर” आंदोलन,“मैं साँस नहीं ले सकता”——एक पुलिस अधिकारी के घुटने पर मरने से पहले जॉर्ज फ्लॉयड के अंतिम शब्द थे। एफबीआई द्वारा 2020 में जारी आंकड़े बताते हैं 61.4 फीसदी घृणा अपराध जातीयता या नस्ल पर आधारित थे। दशकों के संघर्ष और आंदोलन के बाद भी, किसी भी अन्य समूह की तुलना में अश्वेत लोगों के घृणा अपराधों के शिकार बनने की अधिक संभावना है।

अपने “आई हैव ए ड्रीम” भाषण में, मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने नफरत से मुक्त अमेरिका का सपना देखा था। इसमें उनके चार बच्चे एक ऐसे देश में रहेंगे, जहां उन्हें उनकी त्वचा के रंग से नहीं बल्कि उनके चरित्र की गुणवत्ता से आंका जाएगा। अब ऐसा लगता है कि उनका सपना सच नहीं हुआ है।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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