चीनी पर्यटकों के साथ भेदभाव करने से महामारी विरोधी लड़ाई में वैश्विक सहयोग में आई हैं बाधाएं

महामारी की रोकथाम और नियंत्रण के एक नए चरण में प्रवेश करने के बाद, चीनी और विदेशी लोगों का आदान-प्रदान अधिक सुविधाजनक हो गया है, और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय आम तौर पर इसका स्वागत करता है। उदाहरण के लिए, थाईलैंड के उप प्रधानमंत्री जैसे वरिष्ठ नेता व्यक्तिगत रूप से चीनी पर्यटकों का स्वागत करने के लिए.

महामारी की रोकथाम और नियंत्रण के एक नए चरण में प्रवेश करने के बाद, चीनी और विदेशी लोगों का आदान-प्रदान अधिक सुविधाजनक हो गया है, और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय आम तौर पर इसका स्वागत करता है। उदाहरण के लिए, थाईलैंड के उप प्रधानमंत्री जैसे वरिष्ठ नेता व्यक्तिगत रूप से चीनी पर्यटकों का स्वागत करने के लिए बैंकॉक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे गए।

हालांकि कुछ देशों नेविज्ञान और तथ्यों का दरकिनार कर चीनी पर्यटकों पर भेदभावपूर्ण प्रवेश प्रतिबंधों को अपनाया है, जिससे महामारी विरोधी लड़ाई में वैश्विक सहयोग में बाधाएं आयी हैं। वास्तविक स्थिति पर आधारित चीन की पारस्परिक प्रतिक्रिया न केवल अपने देश के नागरिकों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा करती है, बल्कि देशों के बीच सामान्य आदान-प्रदान और सहयोग बनाए रखने के लिए एक आवश्यक वातावरण भी है।
चीनी पर्यटकों के खिलाफ प्रवेश प्रतिबंध लगाने वाले देशों में अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया शामिल हैं। जापान और दक्षिण कोरिया चीन के पड़ोसी देश हैं, जिनके बीच घनिष्ठ आर्थिक संपर्क है। लेकिन एशिया में अमेरिका के प्रमुख मित्र देश होने के नाते अमेरिका द्वारा तथाकथित इंडो-पैसिफिक रणनीति को आगे बढ़ाने की पृष्ठभूमि में, जापान वे अमेरिका के साथ चीनी पर्यटकों के खिलाफ प्रवेश प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया। शायद यह आकस्मिक नहीं है।

पिछले तीन वर्षों में, चीन ने महामारी की स्थिति के आधार पर महामारी की रोकथाम के सख्त उपाय अपनाए हैं, जिसने देश में पुष्ट मामलों की संख्या को बेहद कम स्तर पर रखा। साथ ही, महामारी के वैश्विक प्रसार को रोकने में भी योगदान दिया। प्रासंगिक महामारी निवारण उपाय चीनी और विदेशी नागरिकों के साथ समान व्यवहार करते हैं, और किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं है।8 जनवरी से चीन ने अपनी महामारी विरोधी नीति को अनुकूलित और समायोजित किया है। यद्यपि चीन आने वाले लोगों के लिए यात्रा से 48 घंटे पहले न्यूक्लिकएसिड परीक्षण की आवश्यकता रखी जाती है, फिर भी यह बिना किसी भेदभाव के चीन आने वाले सभी पर्यटकों के लिए बनाया गया है।

पिछले साल दिसंबर से, चीन की महामारी रोकथाम नीति के समायोजन से देश में संक्रमित लोगों की संख्या अल्पावधि में अनिवार्य रूप से बढ़ी है, लेकिन महामारी की स्थिति आम तौर पर नियंत्रित होती है। वर्तमान में, चीन के कई स्थानों ने महामारी के चरम को सुचारू रूप से पार कर लिया है, और जीवन और कार्य धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य समुदाय के लोगों ने बताया कि वर्तमान में चीन में प्रचलित वायरस पहले भी दुनिया भर में फैल चुका था। उदाहरण के लिए, पिछले साल मई में दक्षिण कोरिया में BA.5 वायरस की खोज की गई थी, और BA.5 वायरस गत जून से जुलाई तक जापान में मुख्य वायरस बन गया था। चीनी पर्यटकों पर इन दोनों देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध तथाकथित “वैज्ञानिक महामारी रोकथाम” की भूमिका अदा नहीं कर सकते हैं।

दरअसल चीनी पर्यटकों के आने से जापान, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों को कितना खतरा होगा? उनके नीति निर्माता इसे अच्छी तरह जानते हैं। जापान के स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 12 जनवरी को समाप्त सप्ताह में चीन से यात्रियों के आगमन की सकारात्मक दर 3% रही। योनहाप समाचार एजेंसी के अनुसार, 5 जनवरी से शुरू होकर, दक्षिण कोरिया में प्रवेश करने वाले चीनी लोगों के लैंडिंग परीक्षण की पॉजिटिव दर में गिरावट जारी रही, और 9 जनवरी को गिरकर 5.5% हो गई। दक्षिण कोरियाई महामारी निवारण विभाग के विश्लेषण के अनुसार, चीन से दक्षिण कोरिया में प्रवेश करने वाले पुष्ट मामलों में पाए गए नए कोविड-19 के वायरस में वर्तमान में अमेरिका में प्रचलित मुख्य वायरस XBB.1.5 नहीं है।

यदि जापान, दक्षिण कोरिया और अन्य देश वास्तव में महामारी को सख्ती से रोकना चाहते हैं, तो XBB.1.5 पर ध्यान देना और उससे बचाव करना सबसे महत्वपूर्ण बात है। वर्तमान में, जापान और दक्षिण कोरिया ने XBB.1.5 संक्रमण के कई मामलों का पता लगाया है। ऐसी स्थिति में, उनके गलत “निशाने” को सीधे चीनी पर्यटकों पर लगाने की कार्रवाई बिलकुल निराधार है, जो भेदभाव से भरी हुई है। इसमें कितने राजनीतिक कारक शामिल हैं? हाल में वैश्विक आर्थिक मंदी में है,चीनी पर्यटकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने से अनिवार्य रूप से उन देशों के पर्यटन उद्योग, व्यापार आदि को नुकसान होगा, जो एक बुद्धिमान दृष्टिकोण नहीं है।

चीन, जापान और दक्षिण कोरिया करीबी पड़ोसी देश हैं। पिछले तीन सालों में महामारी से लड़ने के लिए एकजुट होने की अच्छी कहानियां मिली हैं। प्रवेश प्रतिबंधों का वर्तमान मुद्दा खेदजनक है, लेकिन जिम्मेदारी चीन की नहीं है। महामारी की नई स्थिति का सामना करते हुए, जापान, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों को विज्ञान का सम्मान करना चाहिए, औरचीन के खिलाफ भेदभावपूर्ण प्रतिबंधात्मक उपायों को जल्द से जल्द रद्द करना चाहिए। महामारी रोकथाम के बहाने से राजनीतिक साजिश करने से केवल देशों के बीच आदान-प्रदान और सहयोग की समग्र स्थिति को कमजोर किया जाएगा।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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