विश्व आर्थिक मंच को China से वैश्विक स्तर पर आर्थिक बदलाव की उम्मीद

विश्व आर्थिक मंच की पांच दिवसीय 53वीं सालाना बैठक स्विट्जरलैंड के लैंड वासर नदी के किनारे आल्प्स पर्वत की पहाड़ियों के बीच स्थित खूबसूरत शहर दावोस में खत्म हो चुकी है। इस बैठक में ‘खंडित दुनिया में आपसी सहयोग’ विषय पर जम कर चर्चा हुई। इस बैठक में करीब 130 देशों के 2,700 से ज्यादा.

विश्व आर्थिक मंच की पांच दिवसीय 53वीं सालाना बैठक स्विट्जरलैंड के लैंड वासर नदी के किनारे आल्प्स पर्वत की पहाड़ियों के बीच स्थित खूबसूरत शहर दावोस में खत्म हो चुकी है। इस बैठक में ‘खंडित दुनिया में आपसी सहयोग’ विषय पर जम कर चर्चा हुई। इस बैठक में करीब 130 देशों के 2,700 से ज्यादा नेता और आर्थिक-पर्यावरण संबंधी जानकार शामिल हुए। इसमें करीब 52 देशों की सरकारें और राष्ट्रीय सरकारें भी शामिल रहीं।

इस सम्मेलन में भारत और चीन की तरफ से भी कई नेताओं, मंत्रियों, और कारोबारियों ने भी शिरकत की। इस बैठक की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक रही चीनकी 18 जनवरी को वैश्विक मंच पर वापसी। कोरोना महामारी के बाद पहली बार आमने-सामने हो रही इस बैठक में चीन सरकार नेविदेशी निवेशकों को आश्वस्त करने की दिशा में अहम पहल की। इसके लिए उसने विश्व आर्थिक मंच के लिए अपना महत्वपूर्ण प्रतिनिधिमंडल भेजकर दुनिया को आश्वस्त करने का प्रयास किया। चीन की कोशिश रही कि दुनिया को वह आश्वस्त कर सके कि महामारी से उपजी उथल-पुथल के बावजूद तीन साल बाद चीन में जीवन सामान्य हो गया है।

इसी बैठक में चीन ने जाहिर किया कि 61 साल बाद चीन की आबादी पहली बार घटी है। चीन सरकार के अधिकारी लियू हे ने इसी बैठक में स्वीकार किया, कि चीन की विकास दर पिछले एक दशक के तेज विकास की तुलना में काफी घट कर तीन फीसद तक रह गई थी। लेकिन चीन ने जिस तरह से महामारी रोकथाम के कदम उठाए हैं, उससे देश में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद बढ़ी है। चीनी प्रतिनिधिमंडल ने इस बैठक में यह दुनियाभर के कारोबारियों का आह्वान करते हुए कहा कि चीन को भरोसा है कि हमारी मेहनत और हमारे कदमों की वजह से ना सिर्फ चीन में विकास की गति सामान्य होगी, बल्कि मौजूदा साल में चीनी अर्थव्यवस्था में अहम सुधार होगा। दावोस की बैठक का यूरोपीय संघ के देशों और अमेरिका ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बहाने रूस के खिलाफ वैश्विक माहौल बनाने की कोशिश भी की। इस दौरान चीन को भी अलग-थलग करने का भी पश्चिमी देशों द्वारा प्रयास किया गया। लेकिन चीनी प्रतिनिधि मंडल की दावोस में शिरकत ने अमेरिका और यूरोपीय संघ की कोशिशों को एक हद तक नाकाम करने की कोशिश जरूर की।

दावोस में जुटे अर्थशास्त्री भी मान रहे हैं कि चीन ने आर्थिक गतिविधियों के लिए अपने देश को जिस तरह खोला है, उससे वैश्विक विकास को बढ़ावा मिलने की संभावना बढ़ गई है। हालांकि वैश्विक आर्थिक नेता इस बात से आश्वस्त नहीं हैं कि आशंकित मंदी की वजह से मुद्रास्फीति का प्रभाव बढ़ सकता है। इससे ना सिर्फ वैश्विक आर्थिक नेता, बल्कि नीति निर्माता भी चिंतित नजर आए।

पर्यटकों का फिर से स्वागत करने और देश में उन लोगों के लिए विदेश यात्रा को आसान बनाने का चीन के निर्णय परदावोस में सबसे अधिक चर्चा हुई। चीन के प्रस्तावों को दावोस में साल 2023 की अहम आर्थिक घटना की तरह देखा गया। चीन के प्रस्ताव से वैश्विक कारोबारी जगत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ नए सौदे के लिए विशेष रूप से उत्साहित भी नजर आया। इस सिलसिले में स्विस-चीनी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष फेलिक्ससटरकी बात पर गौर किया जाना चाहिए। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि चीनी ऊर्जा और कच्चे माल की जरूरतेंना सिर्फ यूरोपीय, बल्कि वैश्विक जरूरतों के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगी। इसलिए अभी मुद्रास्फीति में कमी दिखाई दे रही है, हालांकि इस साल की तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति पर अधिक दबाव दिख सकता है।

यहां यह जानना जरूरी है कि विश्व आर्थिक मंच स्विट्जरलैंड स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था है। जिसका मुख्यालय कोलोग्नी में है। स्विटजरलैंड ने इसे निजी-सार्वजनिक सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रूप में मान्यता दिया है। इसका उद्देश्य वैश्विक व्यवसाय, राजनीति, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अग्रणी लोगों को एक साथ ला कर दुनिया की एक समन्वित वैश्विक, क्षेत्रीय और औद्योगिक दिशा तय करना है।इस मंच की स्थापना 1971 में यूरोपीय प्रबन्धन के नाम से जिनेवाविश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसरक्लॉसएमश्वाब ने की थी। उस वर्ष यूरोपीय आयोग और यूरोपीय प्रोद्योगिकी संगठन के सहयोग से इस संगठन की पहली बैठक हुई थी। इसमें प्रोफेसरश्वाब ने यूरोप के कारोबारी संस्थाओं के 444 अधिकारियों को अमेरिकी प्रबन्धनप्रथाओं से परिचित कराया था। साल 1987 में इसे विश्व आर्थिक मंच नाम दिया गया। तब से अब तक, हर साल जनवरी में इसकी बैठक आयोजित की जाती है। प्रारम्भ में इसकी बैठकों में सिर्फ प्रबन्धन के तरीकों पर ही चर्चा होती थी। लेकिन बाद में धीरे-धीरे इसमे पर्यावरण, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दे भी जुड़ते चले गए।

(साभार—चाइना मीडियाग्रुप ,पेइचिंग)

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