Diabetes: अगर आप भी है डायबिटीज़ के पेशंट, तो अपनी डाइट में शामिल करें ये कुछ नट्स

डायबिटीज़ आज के समय में बहुत से लोगों को देखने को मिलती है। बच्चें, बूढ़े और यंग हर कोई इससे जुंझ रहा है। इस दौरान खान पान का बहुत अधिक ध्यान रखना पड़ता है। जिससे सुगर को कण्ट्रोल रखा जा सके। नट्स यानी ड्राईफ्रूट्स यह फाइबर, विटामिन्स, खनिज पदार्थ और फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होते हैं।.

डायबिटीज़ आज के समय में बहुत से लोगों को देखने को मिलती है। बच्चें, बूढ़े और यंग हर कोई इससे जुंझ रहा है। इस दौरान खान पान का बहुत अधिक ध्यान रखना पड़ता है। जिससे सुगर को कण्ट्रोल रखा जा सके। नट्स यानी ड्राईफ्रूट्स यह फाइबर, विटामिन्स, खनिज पदार्थ और फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होते हैं। माना जाता है कि जब एक व्यक्ति नट्स का सेवन करता है, तो उसका पेट फौरन भर जाता है। इसकी वजह से व्यक्ति खाना कम खाता है जिससे ब्लड शुगर का स्तर कंट्रोल में रहता है।

मूंगफली
यह भी फाइबर, प्रोटीन और फैट्स से भरपूर होती है, इसी के साथ इसका ग्लायसेमिक इंडेक्स भी कम होता है। इसलिए मूंगफली शुगर के स्तर को बढ़ने से रोक सकती है।

बादाम
डायबिटीज़ में ग्लूकोज़ के स्तर को कंट्रोल करने के लिए बादाम का सेवन बेहद ज़रूरी है। बादाम में फाइबर, विटामिन-ई, मैग्नीशियम, और विटामिन-बी12 की अच्छी मात्रा होती है, इसलिए इसे स्नैक के तौर पर भी खाया जा सकता है।

अखरोट
यह ड्राईफ्रूट ओमेगा-3 से भरा होता है, जिसका उपयोग अखरोट का तेल बनाने में भी किया जाता है। अखरोट में प्रोटीन और पॉलीसैचुरेटेड फैट्स होते हैं। साथ ही अनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स भी होते हैं, जो ग्लूकोज़ को कंट्रोल करने और भूख को दबाने में मददगार साबित होते हैं।

काजू
काजू में एंटी-डायबीटिक गुण होते हैं, जबकि फैट की मात्रा ज्यादा होती है। इसमें अधिक गुड फैट्स होते हैं, जो डायबिटीज़ के मरीज़ों को फायदा पहुंचाते हैं। काजू का रोज़ाना सेवन बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है, जिससे दिल की बीमारी का ख़तरा टलता है। साथ ही यह ब्लड शुगर के स्तर को भी कम करता है।

पिस्ता
इसका ग्लायसेमिक इंडेक्स काफी कम होता है और पिस्ता खाने से टाइप-2 डायबिटीज़ में ग्लायसेमिक इंडेक्स में सुधार भी किया जा सकता है। अगर आप डाइट में पिस्ता की अच्छी मात्रा का सेवन करते हैं, ग्लूकोज़, लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल और पूरे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में भी सुधार हो सकता है।

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