हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 24 जनवरी 2023

बिलावलु महला ५ ॥ संत सरणि संत टहल करी ॥ धंधु बंधु अरु सगल जंजारो अवर काज ते छूटि परी ॥१॥ रहाउ ॥ सूख सहज अरु घनो अनंदा गुर ते पाइओ नामु हरी ॥ ऐसो हरि रसु बरनि न साकउ गुरि पूरै मेरी उलटि धरी ॥१॥ पेखिओ मोहनु सभ कै संगे ऊन न काहू सगल.

बिलावलु महला ५ ॥ संत सरणि संत टहल करी ॥ धंधु बंधु अरु सगल जंजारो अवर काज ते छूटि परी ॥१॥ रहाउ ॥ सूख सहज अरु घनो अनंदा गुर ते पाइओ नामु हरी ॥ ऐसो हरि रसु बरनि न साकउ गुरि पूरै मेरी उलटि धरी ॥१॥ पेखिओ मोहनु सभ कै संगे ऊन न काहू सगल भरी ॥ पूरन पूरि रहिओ किरपा निधि कहु नानक मेरी पूरी परी ॥२॥७॥९३॥

हे भाई! जब मैं गुरु की शरण आ पड़, जब मैं गुरु की सेवा करने लग गया, (मेरे अंदर से) धंदा, बंधन और सारे जंजाल (खत्म हो गए), मेरी ब्रिती और और कामों में अटंक हो गयी॥१॥रहाउ॥ हे भाई! गुरु से मैं परमात्मा का नाम प्राप्त कर लिया (जिस की बरकत से) आत्मिक अडोलता का सुख और आनंद (मेरे अंदर उत्पन हो गया)। हरि-नाम का स्वाद मुझे ऐसा आया कि मैं वो बयां नहीं कर सकता । गुरु ने मेरी ब्रिती माया कि तरफ से हटा दी॥१॥ हे भाई! (गुरु कि कृपा से) सुंदर प्रभु को मैंने सब में बसता देख लिया है, कोई भी जगह उस प्रभु के बिना नहीं दिखती, सारी ही सृष्टि प्रभु की जीवन-रौ से भरपूर दिख रही है। कृपा का खज़ाना परमात्मा हर जगह पूर्ण तौर पर व्यापक दिख रहा है। हे नानक! कह-(हे भाई! गुरु की कृपा से) मेरी मेहनत सफल हो गयी है॥२॥७ ॥९३॥

 

 

- विज्ञापन -

Latest News