साहित्य क्षेत्र में प्रख्यात विद्वान Dr. Rattan Singh Jaggi को मिलेगा पद्म श्री पुरस्कार, राष्ट्रपति Droupadi Murmu ने सूची को दी मंजूरी

नई दिल्ली: 74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पद्म श्री पुरस्कार विजेताओं की सूची दी गई है। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में प्रख्यात विद्वान डॉ रतन सिंह जग्गी के लिए पद्म श्री पुरस्कार दिया जाएगा। डॉ. रतन सिंह जग्गी, पंजाबी और हिंदी साहित्य जगत के और विशेष तौर पर गुरमति साहित्य.

नई दिल्ली: 74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पद्म श्री पुरस्कार विजेताओं की सूची दी गई है। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में प्रख्यात विद्वान डॉ रतन सिंह जग्गी के लिए पद्म श्री पुरस्कार दिया जाएगा। डॉ. रतन सिंह जग्गी, पंजाबी और हिंदी साहित्य जगत के और विशेष तौर पर गुरमति साहित्य के बहुत ही प्रतिष्ठित विद्वान हैं, जिन्होंने अपने जीवन काल का 70 साल से अधिक का समय पंजाबी / हिन्दी साहित्य और गुरमति साहित्य की सेवा में समर्पित किया है। उन्होंने सन 1962 में पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से ‘‘दसम ग्रंथ का पौराणिक अध्ययन’’ विषय में पीएच. डी. की डिग्री हासिल की और बाद में ‘‘दसम ग्रंथ की पौराणिक पृष्ठभूमि’’ नामक पुस्तक लोगों की सेवा में समर्पित की, जिसको भाषा विभाग पंजाब द्वारा पहला पुरुस्कार भी दिया गया। इस पुस्तक की साहित्य जगत की तमाम प्रसिद्ध शख़्सियतों द्वारा बहुत ज़्यादा प्रशंसा की गई। दसम ग्रंथ को लेकर डॉ. जग्गी द्वारा सन 2000 में ‘‘दसम ग्रंथ का टीका’ तैयार किया गया, जिसका गोबिंद सदन, दिल्ली द्वारा पाँच भागों में विमोचन किया गया। उनको दसम ग्रंथ के विषय पर बतौर अथॉरिटी माना जाता है।

डॉ. रतन सिंह जग्गी ने 1973 में मगध यूनिवर्सिटी बोधगया से डी.लिट. की डिग्री प्राप्त की, जिसमें उनका हिंदी में विषय ‘‘श्री गुरु नानकः व्यक्तित्व, कृतित्व और चिंतन’’ था। इस पुस्तक को भी भाषा विभाग पंजाब ने प्रथम पुरुस्कार दिया। श्री गुरु नानक वाणी को लेकर डॉ. जग्गी द्वारा कई किताबें समाज को समर्पित की गईं और श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर पंजाब सरकार द्वारा गुरू नानक बाणीः पाठ और व्याख्या’’ नामक पुस्तक डॉ. जग्गी से पंजाबी और हिंदी में तैयार करवा कर बांटी गई। इसके अलावा डॉ. जग्गी द्वारा गुरू नानक वाणी को लेकर एक किताब ‘‘गुरू नानकः जीवनी और व्यक्तित्व’’ और दूसरी किताब ‘‘गुरू नानक की विचारधारा’’ भी छापी गई और इन दोनों किताबों को भी भाषा विभाग, पंजाब द्वारा पहला पुरुस्कार दिया गया।

डॉ. रतन सिंह जग्गी की सेवाओं में एक बहुत ही अहम सेवा यह भी रही है कि उन्होंने तुलसी रामायण (राम चरित मानस) जोकि हिंदु धर्म का एक गौरवमयी ग्रंथ है, का पंजाबी लिपि अंतर और अनुवाद किया, जिसको कि पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला द्वारा छापा गया और इसको साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा 1989 में राष्ट्रीय स्तर का प्रथम पुरुस्कार दिया गया। इसके अलावा ‘‘पंजाबी साहित्य संदर्भ कोष’’ तैयार किया गया, जिसको 1994 में पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला ने छापा। इसके अलावा डॉ. जग्गी ने 1998 से 2002 दौरान पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला द्वारा पाँच भागों में ‘‘पंजाबी साहित्य का स्रोत मुल्क इतिहास’’ तैयार करके छापा। सन 2002 में डॉ. जग्गी द्वारा ‘‘गुरू ग्रंथ विश्व कोष’’ तैयार किया गया, जिसको पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला द्वारा छापा गया। श्री गुरु ग्रंथ साहिब से सम्बन्धित हर प्रश्न का संक्षिप्त परन्तु अधिकृत उत्तर देने के लिए सही अर्थों में एक विश्वकोष की ज़रूरत थी, जिसको इस विश्वकोष के द्वारा पूरा किया गया। सन 2005 में डॉ. जग्गी द्वारा ‘‘सिख पंथ विश्वकोष’’ तैयार किया गया, जिसमें सिख कौम से सम्बन्धित मुख्य मुद्दों, पक्षों, तथ्यों आदि संबंधी प्रविष्टियां शामिल हैं। इसके बाद 2007 में ‘‘अर्थ बोध श्री गुरु ग्रंथ साहिब’’ नाम अधीन श्री गुरु ग्रंथ साहिब का टीका तैयार करके पाँच भागों में लोगों को समर्पित किया, जिसको शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा जारी किया गया था। सन 2013 में डॉ. जग्गी द्वारा ‘‘भाव प्रबोधनी टीका श्री गुरु ग्रंथ साहिब’’ नामक एक विस्तृत टीका तैयार किया गया, जिसको आठ भागों में पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला द्वारा छापा गया, जिसमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की वाणी की बहुत ही विस्तृत व्याख्या की गई है और लोगों के लिए और विशेष तौर पर सिख जगत के लिए लाभदायक सिद्ध हो रही है। सन 2017 में उन्होंने सम्पूर्ण गुरू ग्रंथ साहिब का हिंदी में टीका करके पाँच प्रतियों में प्रकाशित कर दिया है।

डॉ. रतन सिंह जग्गी की इन उपलब्धियों को देखते हुए ‘‘साहित्य अकादमी, नई दिल्ली’’ द्वारा साल 1989 में राष्ट्रीय पुरुस्कार दिया गया और इसके अलावा पंजाब सरकार द्वारा सर्वोच्च पुरुस्कार ‘‘पंजाबी साहित्य शिरोमणि (रतन)’’ 1996 में दिया गया और 1964 से 1976 तक आठ बार उनकी किताबों को भाषा विभाग, पंजाब सरकार द्वारा पहला इनाम दिया जाता रहा। हरियाणा सरकार द्वारा भी उनकी किताब को पहला ईनाम 1968 में दिया गया। दिल्ली सरकार अधीन पंजाबी अकादमी द्वारा 2010 में ‘‘परम साहित्य सम्मान’’ दिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार के हिंदी संस्थान द्वारा 1996 में ‘‘सौहार्द पुरुस्कार’’ दिया गया। पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला द्वारा उनकी साहित्यक सेवाओं को देखते हुए 2014 में ऑनरेरी डी.लिट. की डिग्री दी गई और गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर द्वारा 2015 में ऑनरेरी डी. लिट. की डिग्री दी गई। इसके अलावा बहुत सी अहम साहित्यक, समाज सेवीं और धार्मिक संस्थाओं द्वारा डॉ. रतन सिंह जग्गी की सेवाओं को देखते हुए उनको सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. रतन सिंह जग्गी 95 साल की उम्र के हो जाने के बावजूद अभी भी समाज को अपनी सर्वश्रेष्ठ और बहुमूल्य साहित्यक सेवाएं प्रदान कर रहे हैं और अब तक वे लगभग 144 किताबें समाज को समर्पित कर चुके हैं। पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला द्वारा उनको लाईफ़ फैलोशिप प्रदान की गई है।

 

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