हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 29 जनवरी 2023

धनासरी महला ५॥ फिरत फिरत भेटे जन साधू पूरै गुरि समझाइआ ॥ आन सगल बिधि कांमि न आवै हरि हरि नामु धिआइआ ॥१॥ ता ते मोहि धारी ओट गोपाल ॥ सरनि परिओ पूरन परमेसुर बिनसे सगल जंजाल ॥ रहाउ ॥ सुरग मिरत पइआल भू मंडल सगल बिआपे माइ ॥ जीअ उधारन सभ कुल तारन हरि.

धनासरी महला ५॥ फिरत फिरत भेटे जन साधू पूरै गुरि समझाइआ ॥ आन सगल बिधि कांमि न आवै हरि हरि नामु धिआइआ ॥१॥ ता ते मोहि धारी ओट गोपाल ॥ सरनि परिओ पूरन परमेसुर बिनसे सगल जंजाल ॥ रहाउ ॥ सुरग मिरत पइआल भू मंडल सगल बिआपे माइ ॥ जीअ उधारन सभ कुल तारन हरि हरि नामु धिआइ ॥२॥ नानक नामु निरंजनु गाईऐ पाईऐ सरब निधाना ॥ करि किरपा जिसु देइ सुआमी बिरले काहू जाना ॥३॥३॥२१॥

हे भाई! खोजते खोजते जब मैं गुरु महां पुरख को मिला, तो पूरे गुरु ने (मुझे) यह समझ दी की ( माया के मोह से बचने के लिए) और सारी जुग्तियों में से एक भी जुगत कान नहीं आती। परमात्मा का नाम सिमरन करना ही काम आता है।१। इस लिए, हे भाई! मैंने परमात्मा का सहारा ले लिया। (जब मैं) सरब-व्यापक परमात्मा के सरन आया, तो मेरे सारे (माया के) जंजाल नास हो गये।रहाउ। हे भाई! देव लोक, मात लोक, पाताल-सारी ही सृष्टि माया (मोह में) फसी हुई है। हे भाई! सदा परमात्मा का नाम जपा करो, यही है जीवन को ( माया के मोह से बचाने वाला, यही है सारी ही कुलों को पार लगाने वाला।२।

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