“एक देश, दो व्यवस्थाएं” चीन सरकार द्वारा देश के शांतिपूर्ण एकीकरण को साकार करने के लिए प्रस्तुत मूल राष्ट्रीय नीति है। 11 जनवरी 1982 को, तत्कालीन चीनी स्वर्गीय नेता तंग श्याओफिंग ने पहली बार “एक देश, दो व्यवस्थाएं” की अवधारणा पेश की, जिसका अर्थ है कि एक चीन की पूर्वशर्त पर देश की मुख्यभूमि में समाजवादी व्यवस्था का पालन किया जाता है, और हांगकांग, मकाओ और थाईवान लंबे समय तक पुरानी पूंजीवादी व्यवस्था को बनाए रखते हैं। “एक देश, दो व्यवस्थाएं” को पहले थाईवान के मुद्दे को हल करने के लिए सामने रखा गया था, लेकिन इसे पहली बार हांगकांग और मकाओ की मातृभूमि की वापसी के मुद्दे को हल करने के लिए लागू किया गया और सफलता हासिल की।
16 अक्तूबर 2022 को, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नए युग में पिछले पांच वर्षों और दस वर्षों में हांगकांग, मकाओ और थाईवान के काम ने विश्व प्रसिद्ध उपलब्धियां हासिल की हैं, “एक देश, दो व्यवस्थाएं” का पालन करते और सुधारते समय देश के शांतिपूर्ण एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई नई आवश्यकताएं पेश की हैं, जो हांगकांग, मकाओ और थाईवान के भविष्य के काम में पूरी तरह से लागू होंगी। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 19वीं राष्ट्रीय कांग्रेस (अक्तूबर 2017) के बाद से, हांगकांग और मकाओ दोनों विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों पर केंद्र सरकार के समग्र शासन का कार्यान्वयन किया गया, राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों के लिए कानूनी प्रणाली और प्रवर्तन तंत्र को लागू किया गया, जिसके चलते हांगकांग और मकाओ की दीर्घकालीन समृद्धि और स्थिरता हासिल हुई।
चीन के शांतिपूर्ण एकीकरण को साकार करना न केवल चीनी राष्ट्र और चीनी लोगों के लिए एक आशीर्वाद है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और दुनिया के लोगों के लिए भी एक आशीर्वाद है। चीन का एकीकरण थाईवान के आर्थिक हितों और किसी भी देश के वैध हितों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। यह सभी देशों के लिए अधिक विकास के अवसर लाएगा, एशिया-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया की समृद्धि और स्थिरता में अधिक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगा, मानव जाति के साझा भाग्य वाले समुदाय के निर्माण में योगदान देगा, और विश्व शांति व विकास के लिए अधिकाधिक योगदान देगा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)