इस्लास माल्विनास की संप्रभुता के सवाल पर आखिर कब तक मूक-बधिर होने का नाटक करेंगे ब्रिटिश राजनेता…?

 2 अप्रैल को अर्जेंटीना के शहरों के केंद्रीय चौराहों में 41 सफेद फूलों का गुलदस्ता दिखाई दिया। इस दिन इस्लास माल्विनास द्वीप समूह (इस्लास माल्विनास) युद्ध का स्मारक दिवस है। 41 का मतलब है कि युद्ध को 41 साल बीत चुके हैं। उसी दिन अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज ने एक छोटा वीडियो साझा किया.

 2 अप्रैल को अर्जेंटीना के शहरों के केंद्रीय चौराहों में 41 सफेद फूलों का गुलदस्ता दिखाई दिया। इस दिन इस्लास माल्विनास द्वीप समूह (इस्लास माल्विनास) युद्ध का स्मारक दिवस है 41 का मतलब है कि युद्ध को 41 साल बीत चुके हैं। उसी दिन अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज ने एक छोटा वीडियो साझा किया और इस पर जोर दिया कि इस्लास माल्विनास अर्जेंटीना का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा,आइए, हम इस्लास माल्विनास की संप्रभुता को शांतिपूर्ण तरीके से बहाल करें।” अर्जेंटीना ने प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के अनुसार एक बार फिर इस्लास माल्विनास मुद्दे का वार्ता से समाधान के लिए अपनी वैध मांगों को व्यक्त किया। इसके प्रति ब्रिटिश राजनेता मूक-बधिर खेल जारी नहीं रख सकते।

कुछ इतिहास समय के साथ धुंधले नहीं होते। इस्लास माल्विनास के मुद्दे के बारे में इतिहास बहुत स्पष्ट है। यानी कि 1816 में, जब अर्जेंटीना स्पेन से स्वतंत्र हो गया, तो उसने घोषणा की कि वह इस्लास माल्विनास सहित अर्जेंटीना के तट से नज़दीक द्वीपों पर स्पेन की संप्रभुता प्राप्त करेगा। हालांकि, 1833 में, ब्रिटेन ने युद्धपोत भेजे और इस्लास माल्विनास पर कब्ज़ा किया, फिर वहां औपनिवेशिक शासन लागू किया।

यह देखा जा सकता है कि इस्लास माल्विनास मुद्दा अनिवार्य रूप से उपनिवेशवाद की ऐतिहासिक विरासत है। 2016 में, महाद्वीपीय शेल्फ की सीमा पर संयुक्त राष्ट्र आयोग ने फैसला सुनाया कि इस्लास माल्विनास अर्जेंटीना के अधिकार क्षेत्र में स्थित है। संयुक्त राष्ट्र की विशेष समिति ने भी बार-बार ब्रिटिश सरकार से इस मुद्दे पर अर्जेंटीना के साथ बातचीत करने का आग्रह किया है। हालांकि, ब्रिटिश पक्ष ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। इस वर्ष जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान, अर्जेंटीना के विदेश मंत्री ने इस्लास माल्विनास की संप्रभुता पर वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए ब्रिटिश पक्ष से पूछा, लेकिन फिर से खारिज कर दिया गया।

ब्रिटेन क्यों इसे नहीं छोड़ता? इसके कई कारण हैं। सबसे पहले, हालांकि इस्लास माल्विनास ब्रिटेन से बहुत दूर है, फिर भी यह दक्षिण प्रशांत और दक्षिण अटलांटिक जलमार्गों की प्रमुख बिंदुओं की रक्षा करता है। इसे “गेटवे टू द साउथ अटलांटिक महासागर” के रूप में जाना जाता है और इसकी रणनीतिक स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। विश्लेषकों का मानना ​​है कि ब्रिटिश पक्ष यह सुनिश्चित करना चाहता है कि अंटार्कटिक संसाधनों का पूरा उपयोग हो सके।

इसके अलावा, ब्रिटिश इस्लास माल्विनास के असली सोने और चांदी के संसाधनों को भी नहीं छोड़ना चाहते हैं। यह क्षेत्र सीसा, चांदी और लोहे जैसे खनिजों से समृद्ध है। 1970 के दशक में इस के पास बड़ी संख्या में तेल और गैस संसाधनों की खोज भी की गई थी। एक ब्रिटिश सांसद ने कहा था, “हम इस्लास माल्विनास के बजाय पांच उत्तरी आयरलैंड खो देंगे!”

औपनिवेशिक युग खत्म हो गया है। पूर्व उपनिवेशवादी औपनिवेशिक लाभांश का अंतहीन आनंद लेने की कोशिश करते हुए बहरे और गूंगे होने का नाटक जारी नहीं रख सकते। ब्रिटिश पक्ष को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का सम्मान करना चाहिए,अर्जेंटीना के लोगों की वैध मांगों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देनी चाहिए और इस्लास माल्विनास को जल्द से जल्द वापस करना चाहिए।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

  

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