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कल मनाया जा रहा है गुड फ्राइडे, जानिए प्रभु यीशु के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें

ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस साल गुड फ्राइडे 7 अप्रैल 2023 को मनाया जा रहा है। गुड फ्राइडे को ब्लैक फ्राइडे, होली फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन प्रभु यीशु को यातनाएं पहुंचाकर सूली पर चढ़ाया गया था।.

ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस साल गुड फ्राइडे 7 अप्रैल 2023 को मनाया जा रहा है। गुड फ्राइडे को ब्लैक फ्राइडे, होली फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन प्रभु यीशु को यातनाएं पहुंचाकर सूली पर चढ़ाया गया था। ईसाई धर्म को मानने वाले अनुयायी इस दिन को प्रभु यीशु के बलिदान दिवस के रूप में याद करते हैं। आइए जानते है गुड फ्राइडे से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में :

प्रभु यीशु का जन्म
माना जाता है कि प्रभु यीशु का जन्म 4 से 6 ईसवी पूर्व फिलिस्तीन के शहर बेथलेहम में हुआ था. इनके माता और पिता नाज़ेरथ से आकर बेथलेहम में बस गए थे, और यहीं पर प्रभु यीशु का जन्म हुआ था. इनकी माता का नाम मरियम और पिता का नाम युसूफ था. इनके पिता युसूफ पेशे से बढ़ाई थे. मान्यता के अनुसार परमेश्वर के संकेत से युसूफ ने मरियम से शादी की थी.

यीशु के जन्म के 2 वर्ष बाद ही उनके पिता की मृत्यु हो गई, और उनका लालन-पालन उनकी माता मरियम ने किया था. क्रिश्चियन धार्मिक ग्रंथों में प्रभु यीशु के 13 वर्ष से 30 वर्ष तक के जीवन के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है. इसके बाद 30 साल की आयु में प्रभु यीशु ने यूहन्ना से शिक्षा हासिल की. इसके बाद धर्म की स्थापना में जुट गए.

प्रभु यीशु के लिए लोगों के मन में बढ़ते हुए प्रेम को देखकर अंधविश्वास फैलाने वाले धार्मिक कट्टरपं​थियों ने उनका पुरजोर विरोध किया. जिसके कारण यहूदी राजा पोंटियंस ने प्रभु यीशु को रोकने के लिए सभी तरह के जतन किए. लेकिन इससे वे जरा भी विचलित नहीं हुए और धर्म का प्रचार करते रहे. राजा पोंटियंस को डर था कि अगर वह प्रभु यीशु को नहीं रोकते हैं तो यहूदी क्रांति कर सकते हैं. इसके लिए प्रभु यीशु को मृत्युदंड की सजा दी गई.

सजा के तौर पर प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया, उस दिन फ्राइडे था. जब उनकी मृत्यु हो गई तो उन्हें कब्र में दफना दिया गया. 3 दिनों के बाद प्रभु यीशु कब्र से पुनः जीवित हो उठे थे. उस दिन संडे था. जिसे ईस्टर संडे के नाम से भी जाना जाता है. बहुत से यहूदियों ने यह चमत्कार अपनी आंखों से देखा. इसके बाद प्रभु यीशु के शिष्यों ने उनके उपदेश को जन-जन तक पहुंचाया. उस समय एक नवीन धर्म की स्थापना हुई, जिसे ईसाई धर्म कहा जाता है.

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