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Career Counselor की मदद से इस तरह बनाए अपने Future को Bright

अक्सर हम करियर काऊंसलिंग का समय पहचानने में देरी कर देते हैं। जब बच्चे आगे की राह चुनने की दहलीज पर होते हैं। इसे आप हाई स्कूल (सैकेंडरी) ही मानिए, क्योंकि इसके बाद ही स्टूडैंट्स के लिए स्ट्रीम चेंज करने का समय होता है और यही वह समय है, जब उन्हें प्रॉपर गाइडैंस की जरूरत.

अक्सर हम करियर काऊंसलिंग का समय पहचानने में देरी कर देते हैं। जब बच्चे आगे की राह चुनने की दहलीज पर होते हैं। इसे आप हाई स्कूल (सैकेंडरी) ही मानिए, क्योंकि इसके बाद ही स्टूडैंट्स के लिए स्ट्रीम चेंज करने का समय होता है और यही वह समय है, जब उन्हें प्रॉपर गाइडैंस की जरूरत होती है। पैरेंट्स को इसी फेज में बच्चों को करियर संबंधी गाइडैंस प्रोवाइड करवानी चाहिए। इससे उसे सही सब्जैक्ट चुनने में मदद मिलती है, बल्कि वह यह भी जान पाता है कि किन विषयों में वाकई उसका रूझान है।

प्रोफैशनल काऊंसलर मनोवैज्ञानिक तरीके से छात्र से बातचीत करते हैं और मनोवैज्ञानिक या साइकोमैट्रिक टेस्ट के आधार पर स्टूडैंट के टैलेंट को समझते हैं। अक्सर हम करियर काऊंसलिंग का समय पहचानने में देरी कर देते हैं। दरअसल, करियर काऊंसलिंग का सही समय वह है, अगर 11वीं में सही सब्जैक्ट का चुनाव न किया, तो पूरा करियर ही यू-टर्न ले सकता है। पैरेंट्स को बच्चे की पढ़ाई पर ध्यान तो देना ही चाहिए, जरूरत उन्हें यह समझने की भी है कि बच्चे की रु चि किन सब्जैक्ट्स में है और वह उनमें कैसा कर रहा है! यह भी देखना चाहिए कि किन विषयों को पढ़ने में बच्चे का मन नहीं लगता।

इसके बाद अभिभावक करियर के चुनाव में बच्चे की मदद कर सकते हैं। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में पैरेंट्स बच्चों के लिए कितना वक्त निकाल पाते हैं, यह सबको मालूम है। बच्चे का रिजल्ट भले पैरेंट्स को पता हो, लेकिन वे अक्सर उसकी पसंद को समझने में चूक जाते हैं। सिर्फ किसी सब्जैक्ट में अच्छे नंबर लाना उस सब्जैक्ट में बच्चे के आगे बेहतर करने की गारंटी नहीं है। पैरेंट्स के लिए इस बात को समझना जरूरी है। इंजीनियरिंग-मैडिकल जैसे क्षेत्रों के प्रति क्रेज का ही यह नतीजा है कि मन मुताबिक पढ़ाई न कर पाने की वजह से बच्चे तनाव में घिर रहे हैं।

यहीं पर बच्चों यानी स्टूडैंट्स को काऊंसलिंग की जरूरत होती है, ताकि उनके पैरेंट्स उनकी प्रतिभाको पहचान सकें और उसे अपनी पसंद के रास्ते पर बढ़ने की इजाजत दे सकें। यह कतई जरूरी नहीं है कि साइंस में 90 या 100 फीसदी अंक लाने वाला छात्र साइंस स्ट्रीम ही पसंद करे। आज मैनेजमैंट में कई नए सब्जैक्ट आ गए हैं। हो सकता है उसकी रु चि गणित में न हो, क्योंकि 10वीं के बाद पढ़ाई का लैवल अचानक हाई हो जाता है और अगर स्टूडैंट की रुचि उसमें न हो, तो उसका प्रदर्शन प्रभावित होने लगता है। काऊंसलिंग में इन्हीं बातों को पैरेंट्स को समझाने की कोशिश की जाती है। नए क्षेत्रों की जानकारी काऊंसलिंग का एक सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि काऊंसलर आपको वैसे सब्जैक्ट या उभरते क्षेत्रों के बारे में भी बताते हैं, जिनसे आप अनजान होते हैं।

काऊंसलर आपको मार्कीट ट्रेंड (देश-विदेश) के बारे में बताते हैं और इन सबसे ऊपर आपको अच्छा इंस्टीट्यूट चुनने में मदद करते हैं। सब्जैक्ट पसंद का होने से आप अपनी पसंद की राह पर बढ़ तो सकते हैं, लेकिन इस गलाकाट प्रतियोगिता के जमाने में अच्छे इंस्टीट्यूट का चुनाव करके ही आप दूसरों पर बढ़त ले सकते हैं। आज मैनेजमैंट में कई नए सब्जैक्ट आ गए हैं। इसी तरह लॉ का क्षेत्र बढ़ गया है। फैशन टैक्नोलॉजी का बुखार और खुमार तो है ही, खेल के क्षेत्र में हो रहे सुधार और कमाई से इस क्षेत्र में क्रि केट के अलावा नए ऑप्शन पर भी उभरे हैं। एक काऊंसलर की सलाह यहीं कारगर होती है।

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