तिब्बत के आली प्रिफेक्चर में आयोजित होगा श्यांगश्योंग संस्कृति और पर्यटन महोत्सव

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के आली प्रिफेक्चर का लंबा इतिहास और रंगबिरंगी संस्कृति है। यहां कई राष्ट्रीय गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासतें हैं। आली क्षेत्र तिब्बत में प्रारंभिक श्यांगश्योंग सभ्यता का जन्मस्थान है, और इसमें कई विश्व स्तरीय पर्यटन संसाधन हैं। पवित्र कैलाश पर्वत और पवित्र मानसरोवर झील जैसे प्राकृतिक परिदृश्यों के अलावा कुके राजवंश के खंडहर जैसे.

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के आली प्रिफेक्चर का लंबा इतिहास और रंगबिरंगी संस्कृति है। यहां
कई राष्ट्रीय गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासतें हैं। आली क्षेत्र तिब्बत में प्रारंभिक श्यांगश्योंग सभ्यता
का जन्मस्थान है, और इसमें कई विश्व स्तरीय पर्यटन संसाधन हैं। पवित्र कैलाश पर्वत और पवित्र
मानसरोवर झील जैसे प्राकृतिक परिदृश्यों के अलावा कुके राजवंश के खंडहर जैसे सांस्कृतिक परिदृश्य
भी हैं। इनके अलावा, आली क्षेत्र में तिब्बती वास्तुशिल्प कला, गीत-नृत्य, पेंटिंग, भित्ति चित्र,
वेशभूषा, लोक रीति-रिवाज आदि संस्कृतियाँ भी आकर्षक हैं।

21 से 27 अगस्त तक, 8वां श्यांगश्योंग संस्कृति और पर्यटन महोत्सव आली प्रिफेक्चर में
आयोजित होगा, जिसकी थीम "प्राचीन श्यांगश्योंग सभ्यता और सुंदर आली" है।
बताया गया है कि 7 दिवसीय संस्कृति और पर्यटन महोत्सव के दौरान, उद्घाटन समारोह,
सांस्कृतिक कलात्मक प्रदर्शन, श्यांगश्योंग संस्कृति संगोष्ठी, घुड़दौड़ प्रतियोगिता, लोक खेल
समारोह, संगीत सभा, निवेश प्रोत्साहन हस्ताक्षर बैठक, सामग्री विनिमय बैठक, पर्यटक स्मृति
वस्तुओं का मेला आदि रंगारंग गतिविधियों का आयोजन होगा।

आप को बता दें कि प्राचीन श्यांगश्योंग संस्कृति तिब्बत की मूल संस्कृति है। इसे तिब्बती सभ्यता की जड़ कहा जाता है। आज तक, प्राचीन श्यांगश्योंग संस्कृति की छाप और प्रभाव तिब्बती लोगों के उत्पादन, जीवन, लोक-साहित्य और मान्यताओं में गहराई से छोड़ा गया है। उदाहरण के लिए, पर्वत देवताओं को बलि चढ़ाना, पवित्र झील की पूजा करना, पवित्र पर्वत के चारों ओर घूमना और साष्टांग प्रणाम करना, सूत्र चक्र लिये घूमना, पत्थर धर्म-सूत्र नक्काशी करना, मानी पत्थर टीला बनाना, रंगीन सूत्र झंडियां फहराना, क्वोच्वांग नृत्य करना आदि, ये सब प्राचीन श्यांगश्योंग संस्कृति से आता है।

श्यांगश्योंग संस्कृति में चिकित्सा, वास्तुकला, हेतु विद्या, बौद्ध धर्म, खगोल विज्ञान, दर्शन आदि सांस्कृतिक प्रणालियाँ शामिल हैं। यह बर्फीले पठार में रहने वाले तिब्बती पूर्वजों की सभ्यता और ज्ञान का क्रिस्टलीकरण है। आज, "प्राचीन श्यांगश्योंग सभ्यता" को विश्व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के दायरे में शामिल किया गया है। अगस्त माह तिब्बत के आली क्षेत्र में पर्यटन का सुनहरा मौसम होता है। पवित्र पर्वत की तलहटी में, पवित्र झील के बगल में, प्राचीन श्यांगश्योंग संस्कृति के रस में सराबोर, लोग आली और बर्फीले पठार की सुंदरता को महसूस कर सकते हैं।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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