न्यूयॉर्कः प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि दुर्भाग्य से कानूनी प्रणाली ने अकसर वंचित सामाजिक समूहों के खिलाफ ‘‘ऐतिहासिक गलतियों’’ को कायम रखने में ‘‘महत्वपूर्ण भूमिका’’ अदा की है और इससे हुआ नुकसान पीढ़ियों तक बना रह सकता है। वह ‘डॉ. बी आर आंबेडकर की अधूरी विरासत विषय पर रविवार को मैसाचुसेट्स के वाल्थम स्थित ब्रैंडिस यूनिर्विसटी में आयोजित छठे अंतररराष्ट्रीय सम्मेलन को मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित कर रहे थे। प्रधान न्यायाधीश का संबोधन ‘रिफॉर्मेशन बियोंड रिप्रजेंटेशन : द सोशल लाइफ ऑफ द कंस्टिट्यूशन इन रेमेडिंग हिस्टॉरिकल रांग्स’ विषय पर था।
बड़ी खबरें पढ़ेंः Bigg Boss 17 : Isha Malviya और Abhishek Kumar अब होंगे हमबिस्तर!
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि पूरे इतिहास में हाशिए पर रहे सामाजिक समूहों को भयानक एवं गंभीर गलतियों का सामना करना पड़ा है, जो अकसर पूर्वाग्रह और भेदभाव जैसी चीजों से उत्पन्न होता है। उन्होंने कहा कि क्रूर दास प्रथा ने लाखों अफ्रीकियों को जबरन उखाड़ फेंका और मूल अमेरिकियों को विस्थापन का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि भारत में जातिगत असमानताएं पिछड़ी जातियों के लाखों लोगों को प्रभावित कर रही हैं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इतिहास आदिवासी समुदायों, महिलाओं, एलजीबीटीक्यूआई समुदाय के लोगों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के प्रणालीगत उत्पीड़न के उदाहरणों से भरा पड़ा है।
बड़ी खबरें पढ़ेंः Green Saree में Kajol ने ढाया कहर, देखें कातिलाना Photos
उन्होंने कहा, कि ‘दुर्भाग्य से, कानूनी प्रणाली ने अकसर हाशिए पर मौजूद सामाजिक समूहों के खिलाफ ऐतिहासिक गलतियों को कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अमेरिका की तरह, भारत के कुछ हिस्सों में भी गुलामी को वैध कर दिया गया था।’’ प्रधान न्यायाधीश ने अपने संबोधन में कहा कि कुछ समुदायों के खिलाफ व्यवस्थित रूप से अत्याचार करने और उन्हें हाशिए पर धकेलने के लिए कानूनी ढांचे को अकसर हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका और भारत (दोनों देशों) में, उत्पीड़ित समुदायों को लंबे समय तक मतदान के अधिकार से वंचित रहना पड़ा।’’
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि इस तरह एक संस्था के रूप में कानून का उपयोग मौजूदा सत्ता संरचनाओं को बनाए रखने और भेदभाव को संस्थागत बनाने के लिए किया गया, जिससे अन्याय की एक स्थायी विरासत बनी जो इन समूहों और समुदायों के लोगों के जीवन को प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे कानूनों को निरस्त किए जाने के बाद भी इनसे हुआ नुकसान पीढिय़ों तक बना रह सकता है, जो वंचित समूहों के खिलाफ की गईं ऐतिहासिक गलतियों और कानून के बीच जटिल एवं स्थायी संबंध को रेखांकित करता है।
बड़ी खबरें पढ़ेंः Skin Care Tips : अगर आपने की ये छाेटी सी गलती तो जिंदगी भर के लिए खराब हो जाएगा आपका चेहरा
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ये ऐतिहासिक गलतियां एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था बनाकर अन्याय को बढ़ावा देती हैं, जहां हाशिए पर रहने वाले समुदायों को अपने उत्पीड़न से ऊपर उठने की अनुमति नहीं है।’’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने कहा, ‘‘इससे समाज की एक प्रकार की स्वयंभू और श्रेणीबद्ध संरचना का निर्माण होता है, जिससे कुछ समूहों के प्रति अन्याय सामान्य हो जाता है।’’ इस सम्मेलन का 2023 संस्करण कानून, जाति और न्याय की खोज पर केंद्रित था। चंद्रचूड़ ने इस बात पर जोर दिया कि आजादी के बाद से भारत की सकारात्मक नीतियों ने उत्पीड़ित सामाजिक समूहों को शिक्षा, रोजगार और प्रतिनिधित्व के अवसर प्रदान कर उन्हें महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की है, जो गहराई तक व्याप्त असमानताओं के कारण उनकी पहुंच से बाहर हो सकते थे।