लखनऊः महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचन्द्र के जिले वाराणसी स्थित पैतृक गांव लमही को संग्रहालय का रूप दिया जायेगा। इसके लिये 10 करोड़ रूपये का प्रस्ताव तैयार कर शासन की अनुमति के लिये भेजा गया है। इसकी स्वीकृति मिलते ही संग्रहालय के निर्माण का कार्य शुरू करा दिया जायेगा। संग्रहालय के कई भाग होंगे, जिसमें वर्चुअल म्यूजियम के अलावा गृहस्थी के समान तथा उनकी स्मृतियों से जुड़ी हुई अन्य सामग्री रखी जायेगी। इस संग्रहालय के माध्यम से उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द्र के प्रशन्सकों को उनके जीवन से जुड़ने का अवसर प्राप्त होगा। प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने शनिवार को बताया कि मुंशी प्रेमचन्द्र ने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज की विडम्बनओं का चित्रण किया। उनकी रचना में समाज का वास्तविक चेहरा उभर कर आता है।
उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के प्रति जन चेतना जगाई। वास्तव में कहा जाये तो उन्होने समाज में व्याप्त तमाम विकृतियों को अपनी रचना में जहाँ एक ओर रेखांकित किया वहीं दूसरी ओर उनके समाधान का तरीका भी बताया। ऐसे कालजयी लेखक के सम्पूर्ण जीवन के घटनाक्रम को इस संग्रहालय में स्थान प्राप्त होगा। आज की नई पीढ़ी मुंशी प्रेमचन्द्र को करीब से जान सकेगी। पर्यटन मंत्री ने बताया कि वर्तमान समय में उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद का गांव लमही पर्यटन स्थल हैं। कुछ साहित्य प्रेमी तो उनके पैतृक आवास को एक मंदिर मानते हैं।
वहां तीन भवन हैं। एक भवन का हाल में ही निर्माण हुआ है। इसमें पर्यटन विभाग वर्चुअल म्यूजियम बनाएगा। यहां लोगों को ऑनलाइन उपन्यास सम्राट की किताबें, तस्वीर व उनके जुड़े अन्य संग्रह देखने-पढ़ने के लिए उपलब्ध होंगी। दूसरा भवन वह है जहां मुंशी प्रेमचंद रहते थे। यहां उनकी गृहस्थी से जुड़ी लगभग सभी वस्तुओं का संग्रह किया जायेगा। चाहे वह चारपाई हो या बिस्तर, चूल्हा-चौका हो या बर्तन। इसके लिए शोध भी कराया जाएगा। तीसरा स्थान, जहां स्मारक बना है और लमही महोत्सव का आयोजन होता है। वहां लैंडस्केप आदि बनाए जाएंगे।