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”Yeh Haseen Vadiyan Yeh Khula Aasaman…जानिए कैसे थे ए.आर.रहमान के यादगार पल

इसके बाद उनका नाम ए.एस. दिलीप कुमार से अल्लाह रखा रहमान यानी ए.आर.रहमान: हो गया ।

मुंबई: भारतीय सिनेमा संगीत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान दिलाने वाले ए.आर.रहमान आज 57 वर्ष के हो गये।06 जनवरी 1967 को तमिलनाडु में जन्में रहमान का रूझान बचपन के दिनों से हीं संगीत की ओर था। उनके पिता आर.के.शेखर मलयालम फिल्मों के लिये संगीत दिया करते थे। रहमान भी अपने पिता की तरह ही संगीतकार बनना चाहते थे। संगीत के प्रति रहमान के बढ़ते रूझान को देख उनके पिता ने उन्हे इस राह पर चलने के लिये प्रेरित किया और उन्हें संगीत की शिक्षा देने लगे । सिंथेसाइजर और हारमोनियम पर संगीत का रियाज करने वाले रहमान की‘की बोर्ड’पर उंगलियां ऐसा कमाल करती तो सुनने वाले मुग्ध रह जाते कि इतना छोटा बच्चा इतनी मधुर धुन कैसे बना सकता है।उस समय रहमान की उम्र महज छह वर्ष की थी।

एक बार रहमान के घर में उनके पिता के एक मित्र आये और जब उन्होंने रहमान की बनायी धुन सुनी तो सहसा उन्हे विश्वास नही हुआ उनकी परीक्षा लेने के लिये उन्होंने हारमोनियम के ऊपर कपडा रख दिया और रहमान से धुन निकालने के लिये कहा। हारमोनियम पर रखे कपड़े के बावजूद रहमान की उंगलियां बोर्ड पर थिरक उठी और उस धुन को सुन वह चकित रह गये। कुछ दिनो के बाद रहमान ने एक बैंड की नींव रखी जिसका नाम था नेमेसीस एवेन्यू.. वह इस बैंड में सिंथेसाइजर. पियानो. गिटार. हारमोनियम बजाते थे। अपने संगीत के शुरूआती दौर से ही रहमान को सिंथेसाइजर ज्यादा अच्छा लगता था । उनका मानना था कि वह एक ऐसा वाद्य यंत्र है जिसमें संगीत और तकनीक का बेजोड मेल देखने को मिलता है। रहमान अभी संगीत सीख हीं रहे थे तो उनके सर से पिता का साया उठ गया लेकिन रहमान ने हिम्मत नही हारी और संगीत का रियाज सीखना जारी रखा।

वर्ष 1989 की बात है रहमान की छोटी बहन काफी बीमार पड गयी और सभी चिकित्सको ने यहां तक कह दिया कि उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं है।रहमान ने अपनी छोटी बहन के जीवन की खातिर मंदिर..मस्जिदों में दुआयें मांगी जल्द हीं उनकी दुआ रंग लाई और उनकी बहन चमत्कारिक रूप से एकदम स्वस्थ हो गयी। इस चमत्कार को देख रहमान ने इस्लाम कबूल कर लिया और इसके बाद उनका नाम ए.एस. दिलीप कुमार से अल्लाह रखा रहमान यानी ए.आर.रहमान: हो गया ।

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