नई दिल्ली: एक नए अनुसंधान से पता चला है कि कृत्रिम मेधा (एआई) का एक मॉडल इस बात का अनुमान लगा सकता है कि कोविड-19 का कारण बनने वाले सार्स-सीओवी-2 वायरस के किस स्वरूप से महामारी की नई लहर आ सकती है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि ये एआई मॉडल एक सप्ताह की अवधि में अवलोकन के बाद प्रत्येक देश में लगभग 73 प्रतिशत और दो सप्ताह के बाद 80 प्रतिशत से अधिक स्वरूप का पता लगा सकता है। अमरीका के ‘मैसाचुसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी’ और इसराइल के ‘द हिब्रू यूनिवर्सटिीहादासाह मैडीकल स्कूल’ की टीम ने ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग एवियन इन्फ्लुएंजा डेटा (जीआईएसएआईडी) द्वारा 30 देशों से एकत्र किए गए सार्स-सीओवी-2 वायरस के 90 लाख नमूनों के आनुवंशिक अनुक्रमों का वेिषण किया।
इसे टीकाकरण दर, संक्रमण दर और अन्य कारकों के डेटा के साथ जोड़ा गया था। जीआईएसएआईडी की वैबसाइट के अनुसार, यह पहल ‘इन्फ्लूएंजा, एच सीओवी-19, रैेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी), एचएमपीएक्सवी के साथ-साथ चिकनगुनिया, डेंगू और जीका सहित अन्य मच्छर जनित एवं कीटों से होने वाले रोगाणुओं से डेटा को तेजी से साझा करने को बढ़ावा देती है।’ टीम ने मशीन-लर्निग पर आधारित जोखिम मूल्यांकन मॉडल बनाने में वेिषण से उभरे पैटर्न का उपयोग किया। यह एक प्रकार का एआई एल्गोरिदम है जो पिछले डेटा से सटीक अनुमान लगा सकता है। यह अध्ययन ‘पीएनएएस नैक्सस’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।