पिछले कुछ वर्षों में स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिख़ के पास का शहर दावोस दुनिया के विशिष्ट वर्ग के लिए ख़ासा लोकप्रिय बन गया है। हर साल की तरह जनवरी में, दुनिया के अमीर और शक्तिशाली लोग विश्व आर्थिक मंच (WEF) की वार्षिक बैठक के लिए शहर में जुटने वाले हैं।
हर साल की तरह ही इस वर्ष 15 से 19 जनवरी की बैठक का विषय ‘विश्वास का पुनर्निर्माण’ है। विशेषज्ञों का कहना है कि AI जोखिमों पर चर्चा के दौरान तकनीक के सकारात्मक लाभों पर ध्यान केंद्रित करने की संभावना है। हालाँकि यह बैठक पिछले वर्ष ही कोविड-19 महामारी के 2 वर्षों के अंतराल के बाद शुरू हुई है। आयोजकों के अनुसार, इस वर्ष भी कई दिग्गज नेता, राष्ट्र अध्यक्षों सहित दुनिया भर के बिजनेसमैन भी दावोस में शिरकत करेंगे। उधर चीनी विदेश मंत्रालय ने 11 जनवरी को इसकी पुष्टि की है कि चीनी प्रधानमंत्री ली छ्यांग 14 से 17 जनवरी तक 2024 विश्व आर्थिक मंच के वार्षिक सम्मेलन में भाग लेंगे। आइये जानते हैं कि आख़िर ये मंच है क्या और इसका क्या लाभ है?
विश्व आर्थिक मंच यानी WEF एक गैर-लाभकारी संस्था है जिसका उद्देश्य राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना है, इसे शुरू में यूरोपीय प्रबंधन फोरम कहा जाता था। हालाँकि, 1987 में इसका नाम बदलकर विश्व आर्थिक मंच कर दिया गया क्योंकि इसने अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को हल करने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाने की मांग की थी।
विश्व के अधिकतर देश इसमें शिरकत करते आये है और आपस में सहयोग करने के लिए प्रेरित भी हुए हैं, भारत और चीन भी इस संघ में हिस्सा लेते हैं और परस्पर सहयोग के लिए कटिबद्ध हैं। भारत, जी20 की सफलतापूर्वक अध्यक्षता करते हुए, ‘वसुधैव कुटुंबकम: एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के मूल्यों का समर्थन करता रहा है। ग्लोबल साउथ की एकीकृत आवाज के रूप में कार्य करते हुए, भारत देशों को एकजुट करता है और वैश्विक मंच पर साझा चिंताओं की वकालत करता है। चंद्रयान 3.0 की चंद्र सीमा की खोज से लेकर वैश्विक स्थिरता के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का नेतृत्व करने और UPI के माध्यम से वित्तीय परिदृश्य में क्रांति लाने तक, भारत के प्रयास सीमाओं से परे हैं।
वहीं अगर हम चीन की बात करें तो चीन मामलों के जानकार श्री प्रसून शर्मा ने हमसे बातचीत में बताया कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, चीन वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था और तकनीकी नवाचार जैसे कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा, वैश्विक शासन प्रणाली में गहन बदलाव हो रहे हैं, चीन वैश्विक शासन प्रणाली को बेहतर बनाने में तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, प्रसून कहतें हैं कि जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिक पर्यावरण में गिरावट और कृत्रिम बुद्धिमत्ता शासन का सामना करते हुए, कोई भी देश या अंतर्राष्ट्रीय संगठन अकेले उन्हें हल नहीं कर सकता है।
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी कई बार अलग अलग मंचों से यह बात दोहरा चुके हैं कि चीन विश्व के साथ सहयोग करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है और आगे भी निरंतर निभाता रहेगा। हाल ही में राष्ट्रपति शी ने अपने 31 दिसंबर 2023 के भाषण में कहा कि चीन 2024 में अपनी आर्थिक सुधार की सकारात्मक प्रवृत्ति को मजबूत करेगा और बढ़ाएगा, और गहन सुधारों के साथ दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बनाए रखेगा। नए साल के मौके पर टेलीविजन पर प्रसारित भाषण में शी ने कहा कि चीन अर्थव्यवस्था में विश्वास बढ़ाने के लिए सुधारों को गहरा करेगा। शी ने कहा कि चीन “आर्थिक सुधार की सकारात्मक प्रवृत्ति को मजबूत करेगा और बढ़ाएगा, और स्थिर और दीर्घकालिक आर्थिक विकास हासिल करेगा।” चीन अगर बढ़त हासिल करता है तो यह केवल चीन तक ही सीमित नहीं रहेगी, इसका लाभ विश्व के अन्य देशों तक भी पहुँचेगा जिससे मानव कल्याण के कार्यों को बल मिलेगा। चुनौतियों से निपटने में चीन को एक प्रमुख खिलाड़ी मानते हुए उन्होंने कहा कि चीन की जलविद्युत, पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा उत्पादन की स्थापित क्षमता दुनिया में पहले स्थान पर है और इसकी 14वीं पंचवर्षीय योजना का लक्ष्य कम कार्बन ऊर्जा परिवर्तन को बढ़ावा देना है।
उल्लेखनीय है कि जब 1979 में चीनी प्रतिनिधिमंडल ने पहली बार WEF की वार्षिक बैठक में भाग लिया था, तो चीन की GDP दुनिया की कुल GDP का लगभग 2 प्रतिशत थी। आज, चीन की GDP दुनिया का लगभग 20 प्रतिशत है। यहाँ यह कहना ग़लत ना होगा कि विकास का गलियारा एशिया से होकर गुजरता है और उस गलियारे के महत्वपूर्ण स्थानों में भारत-चीन अहम पड़ाव हैं।
(रिपोर्टर—देवेंद्र सिंह)