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Kisan Andolan 2.0 : फल-सब्जी से लेकर फ्लाइट तक महंगी, गैस-पैट्रोल-डीजल की भी होने लगी कमी

अमृतसर से दिल्ली की उड़ानें हाऊसफुल होने के साथ ही ये दस गुना तक बढ़ गए हैं, जिन टिकटों की कीमत पहले 3500 रुपए थी, वे सीधे 35 हजार तक कर दी गई हैं।

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लुधियाना/जालंधर : किसान आंदोलन के कारण दिल्ली के रास्तों में रुकावट आने से रोजमर्रा की चीजें बहुत महंगी हो गई हैं। टमाटर से लेकर हवाई टिकट तक महंगे हो चुके हैं। अमृतसर से दिल्ली की उड़ानें हाऊसफुल होने के साथ ही ये दस गुना तक बढ़ गए हैं, जिन टिकटों की कीमत पहले 3500 रुपए थी, वे सीधे 35 हजार तक कर दी गई हैं। पैट्रोल-डीजल और गैस की किल्लत भी महसूस की जानी लगी है।

पंजाब में तेल की सप्लाई आधी रह गई है। रसोई गैस की सप्लाई भी 20 प्रतिशत गिरी है। पंजाब में सब्जी-दूध की सप्लाई पर भी असर पड़ा है। लुधियाना डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस टाजर्न कहते हैं कि किसान आंदोलन अभी शुरू ही हुआ है कि आम आदमी को मंहगाई का डंक लग गया है। चीजों की कमी होने लगी है वहीं ट्रेन और हवाई जहाज का सफर भी मंहगा हो गया है, ऐसे में आम जनता को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

सीआईआई लुधियाना के पूर्व अध्यक्ष और हवेली राम बंसीलाल फर्म के अश्विन नागपाल ने कहा कि अभी पिछले आंदोलन के दौरान हुए नुक्सान से व्यापारी उभर नहीं पाए हैं ऐसे में एक और संघर्ष व्यापार को रसातल में भेज देगा। किसान आंदोलन के कारण शंभू बॉर्डर पूरी तरह से सील है। जिस कारण लोगों को सड़क बंद होने के कारण दिल्ली, हरियाणा और दूसरी जगहों पर जाने में दिक्कत हो रही है। सड़क मार्ग बंद होने के कारण ट्रेनों में भी भीड़ बढ़ गई है, लेकिन अब किसान संगठनों ने वीरवार को रेल रोको का ऐलान किया है। ऐसा हुआ तो पंजाब की मुसीबतें बहुत बढ़ जाएंगी।

रास्ते बंद शुरू होने के कारण माल भाड़ा बढ़ने से व्यापारी भी परेशान

किसान आंदोलन से सबसे ज्यादा अगर किसी को नुक्सान होता है तो वह पंजाब की ट्रेड और इंडस्ट्री ही है। पंजाब बॉर्डर स्टेट है। यहां कोई भी कच्चा माल नहीं होता है। उद्योग जगत को कच्चा माल भी बाहरी राज्यों से पंजाब में लाना पड़ता है और माल तैयार करके भी बाहरी राज्यों को या विदेशों में भेजना पड़ता है। इससे पंजाब की ट्रेड और इंडस्ट्री का 15 से 17 प्रतिशत खर्च केवल ट्रांसपोर्टेशन पर ही अतिरिक्त करना पड़ता है।

पिछली बार जब किसान आंदोलन हुआ था तब भी ढुलाई की लागत बहुत ज्यादा बढ़ गई थी क्योंकि माल वाहक वाहनों को घूम कर दिल्ली की तरफ जाना पड़ता था जिससे एक तो माल लाने ले जाने में अतिरिक्त समय लगता था दूसरा माल भाड़ा भी बढ़ता था क्योंकि लंबे रूट से जाने से वाहनों का पैट्रोल-डीजल का खर्च भी ज्यादा होता था। ऐसे में अब एक बार फिर से आंदोलन शुरू हुआ है तो ट्रेड और इंडस्ट्री की चिंता फिर से बढ़ गई है क्योंकि ऑर्डर जिस दर से लिया जाता है माल की सप्लाई भी उसी के अनुसार होती है। ट्रांसपोर्टेशन का अतिरिक्त खर्च बढ़ने से उत्पादन लागत बढ़ती है।

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