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domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114धर्म : धनासरी महला ५ घरु ६ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ सुनहु संत पिआरे बिनउ हमारे जीउ ॥ हरि बिनु मुकति न काहू जीउ ॥ रहाउ ॥ मन निरमल करम करि तारन तरन हरि अवरि जंजाल तेरै काहू न काम जीउ ॥ जीवन देवा पारब्रहम सेवा इहु उपदेसु मो कउ गुरि दीना जीउ ॥१॥ तिसु सिउ न लाईऐ हीतु जा को किछु नाही बीतु अंत की बार ओहु संगि न चालै ॥ मनि तनि तू आराध हरि के प्रीतम साध जा कै संगि तेरे बंधन छूटै ॥२॥ गहु पारब्रहम सरन हिरदै कमल चरन अवर आस कछु पटलु न कीजै ॥ सोई भगतु गिआनी धिआनी तपा सोई नानक जा कउ किरपा कीजै ॥३॥१॥२९॥
अर्थ : राग धनासरी, घर ६ में गुरु अर्जन देव जी की बाणी। अकाल पुरख एक है और सतगुरु की कृपा द्वारा मिलता है। हे प्यारे संत जनो ! मेरी बेनती सुणो, परमात्मा (के सुमिरन) के बिना (माया के बंधनो से) किसी की भी खलासी नहीं होती ।रहाउ। हे मन ! (जीवन को) पवित्र करने वाले (हरि-सुमिरन के) काम करा कर, परमात्मा (का नाम ही संसार-सागर से) पार निकलने के लिए जहाज है । (दुनिया के) ओर सारे जंजाल तेरे किसी भी काम नहीं आएँगे । प्रकाश-रूप परमात्मा की सेवा-भक्ति ही (असल) जीवन है-यह सिख मुझे गुरु ने दी है ।1 ।
हे भाई ! उस (धन-पदार्थ) के साथ प्रेम नहीं होना चाहिए, जिस की कोई पहुँच ही नहीं । वह (धन-पदार्थ) अन्त समय के साथ नहीं जाता। अपने मन में हृदय में तूं परमात्मा का नाम सुमिरन कर । परमात्मा के साथ प्रेम करने वाले संत जनाँ (की संगत करा कर),क्योंकि उन (संत जनों की) संगत में तेरे (माया के) बंधन खत्म हो सकते हैं ।2। हे भाई ! परमात्मा का सहारा पकड़, (अपने) हृदय में (परमात्मा के) कोमल चरण (वसा) (परमात्मा के बिना) किसी ओर की आशा नहीं करनी चाहिए, कोई ओर सहारा नहीं ढूंढणा चाहिए । हे नानक ! वही मनुख भक्त है, वही गिआनवान है, वही सुरति-अभिआसी है, वही तपस्वी है, जिस ऊपर परमात्मा कृपा करता है।3 ।1।29|