श्रद्धालुओं की गहरी आस्था का प्रतीक है ‘ढुंढणी माता मंदिर’,सच्चे दिल से याद करने पर मिलती हैं खोई चीजें

एक प्रसिद्ध मंदिर जिला कांगड़ा में बाथू पुल से 200 मीटर दूर कांगड़ा रोड़ पर माता ढुंढणी देवी के नाम से विख्यात है।

कांगड़ा (मनोज कुमार): हिमाचल प्रदेश देवी-देवताओं की भूमि है। यहां के चप्पे चप्पे में देवी- देवताओं का वास है, और ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर जिला कांगड़ा में बाथू पुल से 200 मीटर दूर कांगड़ा रोड़ पर माता ढुंढणी देवी के नाम से विख्यात है। इस मंदिर की देवी के प्रति लोगों की अथाह श्रद्धा है।

कहते हैं जब आस पास के गाँवों में किसी की कोई चीज ढूंढने के बाद भी नहीं मिलती तो लोग सच्चे मन से ढुंढणी माता को याद करते हुए चीज ढूंढने की फरियाद लगाते हैं और चीज़ें मिल जाती हैं। कमेटी सदस्यों ने बताया कि मां के मंदिर का 100 वर्ष से भी पुराना इतिहास है।

एक चरवाहे का पशु चरते-चरते बहुत दूर निकल गया और बहुत ढूंढने पर भी नहीं मिला तो उसने माता ढुंढणी को याद किया और कुछ ही पलों में पशु उसकी आंखों के सामने था। हजारों ऐसे किस्से सुनने को मिल जाएंगे जहां लोगों ने खोई हुई कीमती चीजें बापिस पाईं हों। चीजें मिलते ही लोग श्रद्धापूर्वक मां के दरबार में आते हैं और अपनी मन्नत अढाई चावल श्रद्धा सहित मां के चरणों में अर्पित करते हैं।

इसी कारण मां का नाम “ढुंढणी देवी” विख्यात हो गया है तथा श्रद्धालुओं के सहयोग से सुंदर मंदिर भी बन चुका है। वर्ष 2013 से मंदिर का रखरखाव मंदिर कमेटी कर रही है। हर साल 14 अप्रैल के दिन यहां विशाल भंडारे व जागरण का आयोजन होता है। स्थानीय लोगों के साथ यहां दूर दूर से श्रद्धालु आते रहते हैं।

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