Dera Beas: डेरा ब्यास के मुखी बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने जसदीप सिंह गिल को बनाया उत्तराधिकारी

डेरा राधा स्वामी ब्यास से जुड़े श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है. दरअसल, सोमवार को यहां के मुखी बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने अपने उत्तराधिकारी का एलान कर दिया. जानकारी के अनुसार, बाबा ढिल्लों ने जसदीप सिंह गिल को उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी हैं. खबर है कि जसदीप सिंह आज से ही.

डेरा राधा स्वामी ब्यास से जुड़े श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है. दरअसल, सोमवार को यहां के मुखी बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने अपने उत्तराधिकारी का एलान कर दिया. जानकारी के अनुसार, बाबा ढिल्लों ने जसदीप सिंह गिल को उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी हैं. खबर है कि जसदीप सिंह आज से ही डेरा के मुखी का पद संभालेंगे और मिशन का सारा कार्यभार देखेंगे.

लंबे समय से कैंसर से जूझ रहें है बाबा गुरिंदर
आपको बता दें कि बाबा ढिल्लों, पिछले कुछ सालों से कैंसर और दिल से संबंधित जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. ऐसे में आगे कौन डेरा ब्यास चलाएगा? इसको देखते हुए उत्तराधिकारी की घोषणा की गई. इस अहम निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए, सभी सेवादार इंचार्जों को एक पत्र भी भेजा गया है.

इस पत्र में कहा गया कि बाबा ढिल्लों ने सुखदेव सिंह गिल के पुत्र जसदीप सिंह गिल को ‘राधा स्वामी सत्संग ब्यास सोसाइटी’ का नया संरक्षक नियुक्त किया है. बताया जा रहा है कि जसदीप सिंह गिल आज (2 सितंबर) से ही इस भूमिका को निभाएंगे और संगत का मार्गदर्शन करेंगे.

जानें नए संरक्षक जसदीप सिंह गिल के बारे में
आपको बता दें कि जसदीप सिंह गिल ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. मई, 2024 में फार्मास्युटिकल कंपनी सिप्ला लिमिटेड के मुख्य रणनीति अधिकारी (चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिस) और वरिष्ठ प्रबंधन कर्मियों के रूप में पद छोड़ दिया था. यहां से पहले वो मार्च, 2024 तक वेल्थी थेरेप्यूटिक्स के बोर्ड सदस्य थे, और इससे भी पहले उन्होंने रैनबैक्सी में सीईओ के कार्यकारी सहायक के रूप में किया. साथ ही कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी एंटरप्रेन्योर्स में अध्यक्ष के रूप में कार्य किया.

डेरा राधा स्वामी ब्यास क्या है?
सन् 1891, में राधा स्वामी सत्संग ब्यास की स्थापना हुई थी. इसे बाबा जैमल सिंह द्वारा स्थापित किया गया था. इसका उद्देश्य धार्मिक संदेश देना, लोगों की मदद करना है. इस समय ये संस्था अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड समेत 90 देशों में है.

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