1970 के बाद इस साल जून से अगस्त तक दूसरा सबसे गर्म मौसम रहा: रिपोर्ट

नई दिल्ली: अमरीका स्थित जलवायु वैज्ञानिकों और संचारकों के एक समूह की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 1970 के बाद इस साल जून से अगस्त तक दूसरा सबसे गर्म मौसम रहा। इस दौरान, देश की एक-तिहाई से अधिक आबादी ने कम से कम सात दिन खतरनाक गर्मी का सामना किया। ‘क्लाइमेट सेंट्रल’ की.

नई दिल्ली: अमरीका स्थित जलवायु वैज्ञानिकों और संचारकों के एक समूह की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 1970 के बाद इस साल जून से अगस्त तक दूसरा सबसे गर्म मौसम रहा। इस दौरान, देश की एक-तिहाई से अधिक आबादी ने कम से कम सात दिन खतरनाक गर्मी का सामना किया। ‘क्लाइमेट सेंट्रल’ की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण इन तीन महीनों के दौरान 29 दिन तापमान संभवत: तीन गुना अधिक महसूस किया गया। इसमें कहा गया है, ‘कम से कम 1970 के बाद से जून से अगस्त 2024 की अवधि भारत में दूसरी सबसे गर्म अवधि रही।’ रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में दक्षिण एशिया में जलवायु परिवर्तन के चलते तापमान की मार झेलने वाले सबसे अधिक लोग भारत के थे। रिपोर्ट में कहा गया कि कम से कम 60 दिन तक 2.05 करोड़ से अधिक लोग जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़े तापमान से प्रभावित हुए।

वैज्ञानिकों ने कहा कि 42.6 करोड़ से अधिक लोगों (भारत की लगभग एक तिहाई आबादी) को उनके इलाकों में कम से कम सात दिनों तक भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा और इस दौरान तापमान सामान्य से 90 प्रतिशत से अधिक हो गया था। उनके मुताबिक, वैश्विक स्तर पर दो अरब से अधिक लोगों (विश्व आबादी का 25 प्रतिशत) ने 30 या अधिक दिनों तक अत्यधिक गर्मी का अनुभव किया, जो कि संभवत: जलवायु परिवर्तन के कारण कम से कम तीन गुना अधिक हो गई। भारत के कई शहरों में जलवायु परिवर्तन से तापमान काफी अधिक महसूस किया गया। तिरुवनंतपुरम, वसई-विरार, कावारत्ती, ठाणो, मुंबई और पोर्ट ब्लेयर जैसे शहर सबसे अधिक प्रभावित हुए। इनमें से प्रत्येक में जलवायु परिवर्तन के कारण 70 से अधिक दिनों तक कम से कम तीन गुना ज्यादा गर्मी पड़ी। मुंबई में जलवायु परिवर्तन के कारण 54 दिन भीषण गर्मी दर्ज की गई। इस बीच, कानपुर और दिल्ली में लंबे समय तक खतरनाक गर्मी महसूस की गई और औसत तापमान 39 डिग्री सैल्सियस से ऊपर रहा। रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के चलते यह असर देखा गया।

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