मुंबई: भारतीय बैंकों की ओर से वित्त वर्ष 25 में अब तक के सबसे अधिक 1.2 लाख करोड़ रुपए से लेकर 1.3 लाख करोड़ रुपए के बॉन्ड जारी किए जा सकते हैं। इससे पहले वित्त वर्ष 23 में भारतीय बैंकों ने सबसे अधिक 1.1 लाख करोड़ रुपए के बॉन्ड जारी किए गए थे। मंगलवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। क्रैडिट रेटिंग एजैंसी आईसीआरए की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में बॉन्ड के जरिए पैसा जुटाने में सरकारी बैंक सबसे आगे रहेंगे। कुल बॉन्ड में इनकी हिस्सेदारी 82 से 85 प्रतिशत तक हो सकती है। हाल के कुछ महीनों में बैंकों की ओर से बॉन्ड्स के जरिए पैसा जुटाने पर अधिक फोकस किया जा रहा है, हालांकि उधारी की हिस्सेदारी कुल देनदारियों में कोरोना के पहले के स्तर के नीचे बनी हुई है। सख्त मौद्रिक नीति और क्रेडिट ग्रोथ, डिपॉजिट ग्रोथ से अधिक होने के कारण बैंकों की ओर से वैकल्पिक तरीकों से फंड को जुटाया जा रहा है। वित्त वर्ष 25 की शुरुआत से अब तक बैंकों द्वारा बॉन्ड जारी करके 76,700 करोड़ रुपए जुटाए जा चुके हैं। इसमें सालाना आधार पर 225 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 15 से वित्त वर्ष 22 के बीच सरकारी बैंकों की इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड में हिस्सेदारी न के बराबर थी।
आईसीआरए के उपाध्यक्ष और सैक्टर हैड (फाइनांशियल सैक्टर रेटिंग्स) सचिन सचदेवा ने कहा कि पूंजी की स्थिति में सुधार होना, इन्फ्रास्ट्रक्चर लोन बुक और सख्त फंडिंग स्थिति होने के कारण सरकार बैंकों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 23 से वित्त वर्ष 25 (अब तक) के बीच इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जारी करने में 77 प्रतिशत रही है। सचदेवा ने आगे कहा कि चालू वित्त वर्ष में यह ट्रेंड जारी रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 25 में बॉन्ड जारी करने में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 82 से 85 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। इन्फ्रास्ट्रक्चर सैक्टर को बैंकों की ओर से 30 जून तक 13 से 14 लाख करोड़ रुपये का लोन दिए जाने का अनुमान है। इसमें सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत के करीब है। रिपोर्ट में कहा गया कि इन्फ्रास्ट्रक्चर सैक्टर की ग्रोथ को फंड करने के लिए बैंकों की ओर से इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के माध्यम से लगातार फंड जुटाया जाता रहेगा।