हाल के वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय चंद्र अन्वेषण के क्षेत्र में जिस चीज़ ने दुनिया का सबसे अधिक ध्यान आकर्षित किया है वह चीन और भारत की उपलब्धियाँ हैं। चीन की “चांग-अ” चंद्रयान ने पिछले बीस वर्षों में छह बार चंद्रमा पर उतरने में सफल किया, विशेष रूप से 25 जून, 2024 को, चांग-अ 6 ने 53-दिवसीय अंतरिक्ष यात्रा पूरी की और 380,000 किलोमीटर दूर चंद्रमा से चट्टान के नमूने वापस लाये। जो एक नया विश्व कीर्तिमान है। उधर, भारत का चंद्रयान-3, 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर निर्धारित लैंडिंग स्थल पर सफलतापूर्वक उतरा।
हाल के वर्षों में, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) सहित दुनिया की अंतरिक्ष शक्तियों ने चंद्र अन्वेषण में महत्वपूर्ण प्रगति नहीं की है। इनकी तुलना में चीन द्वारा चंद्रमा के सुदूर हिस्से की खोज, और भारत के द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग दोनों ही मानव चंद्र अन्वेषण के इतिहास में अहम घटनाएं साबित हैं। चाहे किसी भी देश ने चंद्र अन्वेषण उपलब्धियां हासिल की हों, वे अज्ञात दुनिया की खोज में सभी मानव जाति की प्रगति का हिस्सा हैं। एक और बात चर्चितजनक है कि मंगल ग्रह की खोज में चीन और भारत की उपलब्धियाँ अमेरिका और पश्चिम से पीछे नहीं हैं।
चीन की तियानवेन-3 मंगल जांच को 2028 के आसपास लॉन्च करने की योजना है, और यह मनुष्यों को पहली बार मंगल ग्रह के नमूने पृथ्वी पर वापस लाने में सक्षम कर सकता है। उधर, 24 सितंबर 2014 को, भारत का “मंगलयान” मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया, जिससे भारत ने अपने पहले प्रयास में ही मंगल ग्रह की यात्रा में सफल किया। एक और बात ध्यान देने योग्य है कि चीन और भारत ने चंद्रमा पर पानी के अणुओं और हीलियम-3 तत्वों की खोज में उपलब्धियां हासिल की हैं। भारत का “चंद्रयान-3” चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में उतरा।
यदि जांच से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में पानी की मौजूदगी की पुष्टि हो सके, तो वह मानव जाति के भविष्य में चंद्रमा के उपयोग के लिए बहुत फायदेमंद होगा। उधर, चीन की चंद्र यान द्वारा हीलियम 3 जैसे तत्वों की खोज मानव जाति की चंद्र संसाधनों को विकसित करने की दीर्घकालिक इच्छा को दर्शाती है। इसके अलावा, चीन और भारत की चंद्र अन्वेषण गतिविधियों में अमेरिका में समान गतिविधियों की तुलना में कम लागत और अधिक परिणाम प्राप्त होते हैं, जिसने भविष्य में अन्य विकासशील देशों के लिए इसी तरह की अंतरिक्ष गतिविधियों में अनुभव तैयार किया है। चीन और भारत विकासशील दुनिया में एकमात्र देश हैं जो चंद्र अन्वेषण करने में सक्षम हैं, उनके बीच सक्रिय और लाभकारी सहयोग स्वाभाविक रूप से उचित है।
3 मई, 2024 को चीन का चांग-अ 6 फ्रांस, इटली, ईएसए और पाकिस्तान के सर्वेक्षण यंत्र लेकर चंद्रमा के लिए उड़ान भरा। बाद में, 18 देशों ने चीन द्वारा वापस लाए गए चंद्र मिट्टी के नमूने साझा किए। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के 2031 में सेवानिवृत्त होने के बाद, चीन का तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन कक्षा में संचालित होने वाला एकमात्र अंतरिक्ष स्टेशन बन जाएगा। चीन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग के लिए खुला है और अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर अन्य देशों के साथ संयुक्त वैज्ञानिक अनुसंधान गतिविधियों का स्वागत करता है। यदि चीन और भारत ईमानदारी से सहयोग का रुख अपनाते हैं, तो चीन और भारत के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण और चंद्र अन्वेषण में सहयोग करना पूरी तरह से संभव है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)