Navratri 2024 Day 7: कल मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा होगी। मान्यता है कि कालरात्रि देवी माता की आराधना करने से साधक को नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही अकाल मृत्यु का भय भी खत्म हो जाता है। ज्योतिषियों का मानना है कि कालरात्रि मां की पूजा करने से कई प्रकार की सिद्धियां भी प्राप्त हो जाती हैं। तो आज इस खबर में जानेंगे कि मां कालरात्रि की पूजा विधि क्या है, भोग, मंत्र और आरती क्या है।
माता कालरात्रि की क्या है पूजा विधि
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाएगी। मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा सुबह और रात्रि दोनों समय में की जाती है। माता की आराधना करने से पहले मां काली की प्रतिमा स्थापित करें। उसके बाद गंगाजल का छिड़काव करें। स्नान कराने के बाद घी का दीपक जलाएं। उसके बाद एक-एक करके रोली, अक्षत, गुड़हल का फूल और भी पूजा का सामान अर्पित करें।
उसके बाद विधि-विधान से पूजा करें। अंत में पूरे परिवार के साथ माता को कपूर या घी के दीपक से आरती करें। आरती करने के बाद जयकारा लगाएं। पंडित जी के अनुसार, सुबह-शाम आरती करने के साथ ही साथ दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं। साथ ही मां कालरात्रि की रुद्राक्ष की माला से मंत्रों का जाप भी करें। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
मां कालरात्रि को लगाएं भोग
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि की पूजा करते समय गुड़ से बनी चीजों का भोग अर्पित करें। मान्यता है कि गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाने से माता बहुत ज्यादा प्रसन्न होती हैं।
मां कालरात्रि मंत्र
ॐ कालरात्र्यै नम:।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता,
लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा,
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।
जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥
ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।
मां कालरात्रि आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि मां तेरी जय॥