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RBI ने रेपो दर को यथावत रखा, लेकिन आगे नीतिगत दर में कटौती का दिया संकेत

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार 10वीं बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। केंद्रीय बैंक ने अपेक्षाकृत आक्रामक रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ कर दिया। रुख में बदलाव का मतलब है कि आरबीआई मुद्रास्फीति और आíथक वृद्धि पर नजर रखते हुए.

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार 10वीं बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। केंद्रीय बैंक ने अपेक्षाकृत आक्रामक रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ कर दिया। रुख में बदलाव का मतलब है कि आरबीआई मुद्रास्फीति और आíथक वृद्धि पर नजर रखते हुए जरूरत के हिसाब नीतिगत दर को बढ़ा या घटा सकता है। यह एक संकेत है कि मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक में नीतिगत दर में कटौती को लेकर संभवत: कदम उठाया जा सकता है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सोमवार को शुरू हुई पहली बैठक में लिए निर्णय की जानकारी देते कहा, ‘एमपीसी ने नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया है।

समिति के 6 सदस्यों में से 5 ने नीतिगत दर को यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया।’ रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। इस दर के यथावत रहने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कजर्ाें पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है। दास ने कहा कि निजी खपत और निवेश में वृद्धि के साथ देश का आíथक वृद्धि परिदृश्य मजबूत बना हुआ है। खुदरा मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने सितंबर में आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रही। केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि इस महीने इसमें खासकर तुलनात्मक आधार के कारण तेजी आ सकती है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल, 2024 से मार्च, 2025) के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5 प्रतिशत पर कायम रखा है। साथ ही जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि के अनुमान को भी 7.2 प्रतिशत पर बनाए रखा।

दास ने कहा कि आरबीआई उपभोग उद्देश्यों के लिए कजर्, सूक्षम वित्त ऋण और क्रैडिट कार्ड बकाया जैसे कुछ असुरक्षित कर्ज के मामले में दबाव बढ़ने की आशंका पर करीबी नजर रख रहा है। केंद्रीय बैंक जरूरी होने पर कुछ कदम उठा सकता है। उन्होंने कहा, ‘बैंकों और एनबीएफसी को, अपनी ओर से इन क्षेत्रों में आकार और गुणवत्ता दोनों के संदर्भ में अपने व्यक्तिगत जोखिम का सावधानीपूर्वक आकलन करने की आवश्यकता है।’ दास ने कर्ज मंजूरी के बाद की निगरानी व्यवस्था को मजबूत बनाने की भी बात कही। अन्य उपायों में आरबीआई ने यूपीआई 123 पे (फीचर फोन) में प्रति लेनदेन सीमा 5,000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए करने का प्रस्ताव किया है। साथ ही यूपीआई लाइट वॉलेट की सीमा को 2,000 रुपए से बढ़ाकर 5,000 रुपए करने तथा प्रति लेनदेन सीमा को दोगुना कर 1,000 रुपए करने की घोषणा की है।

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