विज्ञापन

वैश्विक खाद्य सुरक्षा में चीन और भारत की भूमिका

भूख लगे तो खाने की याद आती है, रूठे को मनाना हो तब भी दिमाग में खाने का ख्याल आता है, घर में मेहमान आने वाले हों तब भी तुरंत अच्छे से पकवानों की डिशेज का मेन्यू तैयार हो जाता है. यानी खाना सेहत का खजाना तो है ही लेकिन इसका इमोशनली और सोशली भी.

- विज्ञापन -

भूख लगे तो खाने की याद आती है, रूठे को मनाना हो तब भी दिमाग में खाने का ख्याल आता है, घर में मेहमान आने वाले हों तब भी तुरंत अच्छे से पकवानों की डिशेज का मेन्यू तैयार हो जाता है. यानी खाना सेहत का खजाना तो है ही लेकिन इसका इमोशनली और सोशली भी बहुत महत्व है। दुनिया में हर व्यक्ति का स्वाद अलग-अलग है और इसी हिसाब से अजीबो-गरीब डिशेज भी बनाई जाती हैं।

खाना हमेशा इंसान की जरूरत रही है. सबसे पहले इंसान ने फूल-पत्ती और बीज खाए। नॉन वेज की बात की जाए तो सबसे पहले मछली खानी शुरू हुई। भूख ने इंसानों को हमेशा खाने से जोड़कर रखा क्योंकि इसी से उनके शरीर को ऊर्जा मिलती रही है। नेचर इकोलॉजी और इवॉल्यूशन जर्नल में छपी रिपोर्ट के अनुसार इंसान ने 17 लाख साल पहले आग की खोज की थी लेकिन भोजन को पकाने का सिलसिला 6 लाख साल पुराना है। आग में खाना पकाने से इंसान के शरीर में बदलाव हुए जिसका सबूत दांतों के इनेमल पर हुई रिसर्च से पता चला।

1979 में खाने के इतिहास पर लिखा गया पहले जनरल ‘Petits Propos Culinaires’ के अनुसार पहले लोग शिकार करके पेट भरते थे लेकिन 11,500 साल पहले खेती की शुरुआत हुई जिसके बाद लोग चावल, गेहूं, मक्का जैसे अनाज को खाने लगे. खाना इलाके की जलवायु, पर्यावरण और तापमान के हिसाब से बंट गया. जहां खेती के लिए उपजाऊ जमीन थी, वहां सब्जी और अनाज भोजन बना। जहां पशु पालन हुआ वहां डेयरी प्रोडक्ट और मीट खाने में शामिल हुआ। इसी तरह जो समुद्र किनारे लोग रहे वह सी फूड खाने लगे।

विश्व खाद्य दिवस हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भूख मिटाने और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता बढ़ाना है। 2024 में भी, यह दिन दुनिया को याद दिलाता है कि लाखों लोग आज भी भूख और कुपोषण से जूझ रहे हैं। इस समस्या के समाधान में चीन और भारत जैसे देशों की भूमिका महत्वपूर्ण है, जो न केवल अपने विशाल जनसंख्या की जरूरतें पूरी कर रहे हैं, बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भी अहम योगदान दे रहे हैं।

चीन ने पिछले कुछ दशकों में कृषि और खाद्य उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। तकनीकी नवाचार, स्मार्ट खेती, और कृषि आधुनिकीकरण ने चीन की कृषि उत्पादन क्षमता को काफी बढ़ाया है। इसके अलावा, चीन सरकार ने ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका सीधा असर खाद्य सुरक्षा पर पड़ा है। चीन के ग्रामीण पुनरुत्थानजैसे कार्यक्रम ने न केवल कृषि उत्पादन को बढ़ाया है, बल्कि खाद्य संसाधनों के बेहतर प्रबंधन को भी सुनिश्चित किया है।

चीन ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा में योगदान देने के लिए अपने कृषि तकनीक और नवाचारों को अन्य विकासशील देशों के साथ भी साझा किया है। इससे इन देशों की खाद्य उत्पादन क्षमता में सुधार हुआ है, जिससे विश्व स्तर पर खाद्य सुरक्षा मजबूत हुई है।

वहीं चीन के पड़ोसी भारत, जो विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, खाद्य सुरक्षा के मुद्दे से निपटने में बड़े प्रयास कर रहा है। भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) जैसे कदम उठाए हैं, जिसके तहत करोड़ों गरीब परिवारों को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है। इसके साथ ही, भारतीय कृषि क्षेत्र में भी तकनीकी नवाचार और आधुनिकीकरण के प्रयास जारी हैं, जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि हो रही है।

भारत ने भी खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अनेक अंतरराष्ट्रीय सहयोगी कार्यक्रमों में भाग लिया है। विश्व के प्रमुख खाद्यान्न निर्यातकों में से एक होने के नाते, भारत ने वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने में अहम योगदान दिया है।

भूख और कुपोषण की समस्या आज भी वैश्विक स्तर पर बनी हुई है। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं, युद्ध और संघर्ष, और खाद्य वितरण में असमानता जैसी समस्याएं खाद्य सुरक्षा को चुनौती देती हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि सभी देश एकजुट होकर इस दिशा में काम करें और स्थायी खाद्य उत्पादन और वितरण प्रणालियों को अपनाएं।

विश्व खाद्य दिवस 2024 का संदेश स्पष्ट है: भूख को समाप्त करने के लिए वैश्विक सहयोग और सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। चीन और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के योगदान से दुनिया को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में बड़ी मदद मिल सकती है। इन देशों के कृषि नवाचार, तकनीकी विकास, और वैश्विक खाद्य आपूर्ति में सुधार के प्रयास निश्चित रूप से एक मजबूत और सुरक्षित भविष्य का निर्माण करेंगे, जहां कोई भी भूखा न रहे।

चीन और भारत ने अपनी-अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से न केवल अपने देशों में खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी योगदान दिया है। विश्व खाद्य दिवस 2024 हमें यह याद दिलाता है कि हर इंसान को पर्याप्त और पौष्टिक भोजन का अधिकार है, और इसे सुनिश्चित करने के लिए हमें सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)  (लेखक—देवेंद्र सिंह)

- विज्ञापन -

Latest News