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हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 19 नवंबर 2024

धर्म : सोरठि महला ४ घरु १ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ आपे आपि वरतदा पिआरा आपे आपि अपाहु ॥ वणजारा जगु आपि है पिआरा आपे साचा साहु ॥ आपे वणजु वापारीआ पिआरा आपे सचु वेसाहु ॥१॥ जपि मन हरि हरि नामु सलाह ॥ गुर किरपा ते पाईऐ पिआरा अंम्रितु अगम अथाह ॥ रहाउ ॥ आपे.

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धर्म : सोरठि महला ४ घरु १ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ आपे आपि वरतदा पिआरा आपे आपि अपाहु ॥ वणजारा जगु आपि है पिआरा आपे साचा साहु ॥ आपे वणजु वापारीआ पिआरा आपे सचु वेसाहु ॥१॥ जपि मन हरि हरि नामु सलाह ॥ गुर किरपा ते पाईऐ पिआरा अंम्रितु अगम अथाह ॥ रहाउ ॥ आपे सुणि सभ वेखदा पिआरा मुखि बोले आपि मुहाहु ॥ आपे उझड़ि पाइदा पिआरा आपि विखाले राहु ॥ आपे ही सभु आपि है पिआरा आपे वेपरवाहु ॥२॥ आपे आपि उपाइदा पिआरा सिरि आपे धंधड़ै लाहु ॥ आपि कराए साखती पिआरा आपि मारे मरि जाहु ॥ आपे पतणु पातणी पिआरा आपे पारि लंघाहु ॥३॥ आपे सागरु बोहिथा पिआरा गुरु खेवटु आपि चलाहु ॥ आपे ही चड़ि लंघदा पिआरा करि चोज वेखै पातिसाहु ॥ आपे आपि दइआलु है पिआरा जन नानक बखसि मिलाहु ॥४॥१॥

अर्थ :-हे (मेरे) मन ! सदा परमात्मा का नाम सुमिरन कर, सिफ़त-सालाह करा कर । (हे भाई !) गुरु की कृपा के साथ ही वह प्यारा भगवान मिल सकता है, जो आत्मिक जीवन देने वाला है, जो अपहुँच है, और, जो बहुत गहरा है ।रहाउ । हे भाई ! भगवान आप ही हर जगह मौजूद है (व्यापक होते हुए भी) भगवान आप ही निरलेप (भी) है । जगत-वणजारा भगवान आप ही है (जगत-बंजारे को रासि-पूँजी देने वाला भी) सदा कायम रहने वाला भगवान आप ही साहूकार है । भगवान आप ही वणज है, आप ही व्यापार करने वाला है, आप सदा-थिर रहने वाला सरमाया है ।1 । हे भाई ! भगवान आप ही (जीवों की अरदास) सुन के सब की संभाल करता है, आप ही मुक्ख से (जीवों को ढाढस देने के लिए) मीठा बोल बोलता है । प्यारा भगवान आप ही (जीवों को) कुराहे ड़ाल देता है, आप ही (जिंदगी का सही) मार्ग दिखाता है । हे भाई ! हर जगह भगवान आप ही आप है, (इतने खलजगन का स्वामी होता हुआ) भगवान बे-परवाह रहता है ।2 । हे भाई ! भगवान आप ही (सब जीवों को) पैदा करता है, आप ही हरेक जीव को माया के आहर में लगाए रखता है, भगवान आप ही (जीवों की) बणतर बनाता है, आप ही मारता है, (तो उस का पैदा किया जीव) मर जाता है । भगवान आप ही (संसार-नदी पर) पतण है, आप ही मलाह है, आप ही (जीवों को) पार निकालता है ।3 । हे भाई ! भगवान आप ही (संसार-) समुंद्र है, आप ही जहाज है, आप ही गुरु-मलाह हो के जहाज को चलाता है । भगवान आप ही (जहाज में) चड़ के पार निकलता है । भगवान-पातिशाह कौतक-तमाशे कर के आप ही (इतना तमाशों को) देख रहा है । गुरु नानक जी कहते हैं, हे नानक ! (बोल-) भगवान आप ही (सदा) दया का सोमा है, आप ही बख्शश कर के (अपने पैदा किये जीवों को अपने साथ) मिला लेता है ।4 ।1 ।

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