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पीएम मोदी के नेतृत्व में ग्लोबल मैन्युफैरिंग हब बन रहा भारत

नई दिल्ली। भारत की पहचान दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में होती है। प्रगति की राह पर अग्रसर देश आने वाले कुछ वर्षों में चौथी और इसके बाद तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाएगा। भारत में आगे बढ़ने को लेकर भरपूर आत्मविश्वास है और पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व.

नई दिल्ली। भारत की पहचान दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में होती है। प्रगति की राह पर अग्रसर देश आने वाले कुछ वर्षों में चौथी और इसके बाद तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाएगा। भारत में आगे बढ़ने को लेकर भरपूर आत्मविश्वास है और पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ग्लोबल मैन्युफैरिंग हब बनने जा रहा है। भारतीय मैन्युफैरिंग में एक नए जोश और तेजी को लेकर पीएम मोदी के विजन और योजनाओं को सराहना मिल रही है। एक मीडिया इवेंट में भारत फोर्ज के चेयरमैन बाबा कल्याणी ने मैन्युफैरिंग, फोजर्गिं और इंजीनियरिंग को लेकर जर्मनी का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत जर्मनी से सीख सकता है। जिस तरह कार से लेकर मशीन टूल्स और दूसरे इक्विपमेंट के लिए जर्मनी भारत के लिए एक बड़ा नाम है, उसी तरह भारत को जर्मनी से सीखना चाहिए कि कैसे एक उत्पाद राष्ट्र बना जा सकता है।

उन्होंने आगे कहा कि भारत में उत्पाद राष्ट्र बनने के लिए सारी खूबियां मौजूद हैं। देश में महत्वाकांक्षा, मटेरियल रिसोर्सेज और बढ़ते बाजार की उपलब्धता तो है, लेकिन अभी भी बहुत सी कमियां हैं। पीएम मोदी इन कमियों को दूर करने और भारत के मैन्युफैरिंग सेक्टर को मजबूत बनाने को लेकर कई बड़े कदम उठा रहे हैं। भारत को मैन्युफैरिंग हब बनाने के उद्देश्य को लेकर पीएम गति शक्ति योजना की भी तारीफ की गई।

देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत और लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाने को लेकर मौजूदा सरकार की पीएम गति शक्ति योजना अहम भूमिका निभा रही है। देश में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के रूप में जाना जाता है। इस योजना के तहत सरकार के 16 मंत्रलयों के बीच तालमेल स्थापित करना है। जिससे सड़क, रेल, तेल और गैस जैसे मंत्रलयों के प्रोजेक्ट को एक साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया जा सके, काम में तेजी आए और लागत में कटौती हो।

जर्मन कार कंपनी मर्सिडीज-बेंज ग्रुप की ओर से कहा गया कि कंपनी का लक्ष्य भारत में घरेलू बाजार के लिए उत्पादन करना है। इसी के साथ कंपनी निर्यात के लिए उत्पादन बढ़ाने की राह पर आगे बढ़ना चाहती है। यह मॉडल भारत से पहले कंपनी ने दूसरे कई बाजारों अमेरिका, चीन और दक्षिण अफ्रीका में अपनाया था।

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