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“बेल्ट एंड रोड” है दक्षिण एशियाई देशों के लिए सुअवसर

“बेल्ट एंड रोड” पहल ने अपनी स्थापना के बाद से पिछले दस वर्षों में सभी भाग लेने वाले देशों के आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में एक बड़ी भूमिका निभाई है। अब तक, चीन ने 150 से अधिक देशों और 30 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ बेल्ट एंड रोड पहल पर 200.

“बेल्ट एंड रोड” पहल ने अपनी स्थापना के बाद से पिछले दस वर्षों में सभी भाग लेने वाले देशों के आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में एक बड़ी भूमिका निभाई है। अब तक, चीन ने 150 से अधिक देशों और 30 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ बेल्ट एंड रोड पहल पर 200 से अधिक सहयोग दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं। और पहल में शामिल देशों के साथ संपन्न कुल आयात और निर्यात मात्रा 22 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई है।उधर दक्षिण एशियाई देशों के लिए, “बेल्ट एंड रोड” भी विकास के सुअवसर प्रदान करता है।

दक्षिण एशियाई देश “वन बेल्ट,वन रोड” पहल के निर्माण में विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस क्षेत्र में कई प्रमुख देश जैसे भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश आदि सब चीन के महत्वपूर्ण आर्थिक भागीदार हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे और बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक गलियारे में भाग लेने वाले देश हैं। श्रीलंका और नेपाल को भी “बेल्ट एंड रोड” के निर्माण से अभूतपूर्व अवसर प्राप्त हुए। “बेल्ट एंड रोड पहल” के माध्यम से, चीन और दक्षिण एशियाई देशों ने व्यापार, निवेश, बुनियादी ढांचे के निर्माण और अन्य पहलुओं में कई परियोजनाओं पर सहयोग किया है, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है।

अभी तक चीन और दक्षिण एशियाई देशों ने कई परियोजनाओं में निवेश सहयोग किया है। उदाहरण के लिए, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के निर्माण में कुल 46 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया गया है। बांग्लादेश, चीन, भारत और म्यांमार ने 2013 के अंत में सहयोग के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों, सहयोग तंत्र और अन्य मुद्दों पर चर्चा करने के लिए चार-पक्षीय संयुक्त कार्य समूह की बैठक की, जिसमें बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक गलियारे के निर्माण को चिह्नित किया गया। चारों देशों के सक्रिय सहयोग और संयुक्त निर्माण से न केवल चारों देशों और पड़ोसी देशों को लाभ होगा, बल्कि दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्वी एशिया के तीन प्रमुख क्षेत्रों के समन्वित विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

चीनी कंपनियों ने श्रीलंका के कोलंबो पोर्ट सिटी और हंबनटोटा पोर्ट जैसी बड़ी परियोजनाओं सहित बड़ी संख्या में बुनियादी ढांचा निर्माण परियोजनाओं में भाग लिया है। नेपाल के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नेपाल सक्रिय रूप से “बेल्ट एंड रोड” के निर्माण को बढ़ावा दे रहा है, और ट्रांस-हिमालयी रेलवे की योजना भी अमल की जा रही है।

उधर, किसी राजनीतिक अवधारणा के कारण, भारतीय अधिकारियों ने हमेशा “वन बेल्ट, वन रोड” पहल के प्रति विरोधी रवैया अपनाया है। लेकिन, तथ्यों से पता चला है कि बेल्ट एंड रोड पहल का विरोध भारत के अपने आर्थिक विकास के लिए अनुकूल नहीं है। हालाँकि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव चीन द्वारा प्रस्तावित किया गया, पर यह चीन द्वारा नियंत्रित कोई संगठन या योजना नहीं है। “बेल्ट एंड रोड” के निर्माण में भाग लेने वाले सभी पक्ष पूरी तरह से समान व स्वतंत्र हैं, साथ ही, “बेल्ट एंड रोड” की परियोजनाएं विभिन्न देशों की मूल आर्थिक विकास योजनाओं के पूरक भी हैं। यदि भारत “वन बेल्ट, वन रोड” पहल में भाग लेता है, तो इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा, बल्कि यह वास्तव में भारत के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए फायदेमंद होगा।

भारत को आर्थिक लक्ष्यों को साकार करने के लिए विनिर्माण उद्योग का विकास करना होगा, जबकि इसे अमल कायम करने के लिए दुनिया के सबसे शक्तिशाली औद्योगिक देश चीन भी मदद दे सकता है। केवल ब्रिक्स और एससीओ के सदस्यों के साथ सहयोग बढ़ाकर और बेल्ट एंड रोड पहल में भाग लेकर ही भारत अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे के निर्माण में तेजी ला सकता है। यदि अकेले सेवा उद्योग के विकास के सहारे, पर ठोस बुनियादी ढांचे और विनिर्माण के बिना, तो भारत हमेशा के लिए पश्चिमी अर्थव्यवस्था की जागीर बन सकता है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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