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बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार बंद होना चाहिए, शांति सेना उतारने जैसे हालात : जितेंद्रानंद सरस्वती

वाराणसी: बांग्लादेश की घटना के विरोध में वाराणसी के कचहरी परिसर के बाहर बड़ी संख्या में मंगलवार को भाजपा समर्थक, हिंदू संगठन और अधिवक्ताओं ने मार्च निकाला। इस दौरान हिंदू संगठनों ने विरोध जताते हुए जमकर नारे

वाराणसी: बांग्लादेश की घटना के विरोध में वाराणसी के कचहरी परिसर के बाहर बड़ी संख्या में मंगलवार को भाजपा समर्थक, हिंदू संगठन और अधिवक्ताओं ने मार्च निकाला। इस दौरान हिंदू संगठनों ने विरोध जताते हुए जमकर नारेबाजी की। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि बांग्लादेश के अंदर जिस प्रकार हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है, वो गलत है। हिंदुओं की सरेआम हत्या की जा रही है।

वहां पर गिरफ्तार किए गए संत के लिए जो वकील खड़े हुए, उन वकीलों के घरों पर हमला किया गया। परिणाम यह निकला कि उसमें से दो-तीन वकील कोमा में हैं और एक भी वकील कोर्ट के अंदर खड़ा नहीं हुआ। दो महीने की अगली डेट कोर्ट के अंदर बढ़ा दी गई है। इस अत्याचार को तुरंत रोका जाना चाहिए। बांग्लादेश का वो हिस्सा, जहां हिंदू रहते हैं, उस हिस्से को काटकर अलग देश बनाया जाए।

उन्होंने आगे कहा कि 1 करोड़ 20 लाख की आबादी है। अगर 50 लाख की आबादी इजरायल की हो सकती है तो 1 करोड़ 20 लाख का हिंदू देश क्यों नहीं हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र संघ हस्तक्षेप करे। नहीं तो भारत सरकार शांति सेना उतारे जैसे 1971 में उतरी थी, वैसे अभी उतारने की जरूरत है।

वहीं, प्रयागराज जिला पंचायत कार्यालय पर विश्व हिंदू परिषद के साथ विभिन्न हिंदू संगठनों के पदाधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में लोगों ने विरोध प्रदर्शन जताते हुए जमकर नारेबाजी की। इस दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस का फोटो और पुतला जलाया गया।

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