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Maharashtra News : मिड-डे-मील खाकर बीमार हुए 106 छात्र, अस्पताल में हुए भर्ती 

महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के पारडी गांव स्थित जिला परिषद उच्च प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मील के कारण 106 छात्र फूड प्वाइजनिंग का शिकार हो गए। यह घटना पंचायत समिति सावली के अंतर्गत आती है।

महाराष्ट्र : महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के पारडी गांव स्थित जिला परिषद उच्च प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मील के कारण 106 छात्र फूड प्वाइजनिंग का शिकार हो गए। यह घटना पंचायत समिति सावली के अंतर्गत आती है। इस स्कूल में दोपहर के समय बच्चों को मिड डे मील के रूप में खिचड़ी दी गई थी। खिचड़ी खाने के बाद छात्रों में उल्टी और दस्त की समस्या शुरू हो गई। सबसे पहले छात्रों ने घर जाकर बीमार महसूस किया, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, छात्रों की संख्या बढ़ने लगी।

बच्चों का इलाज जारी है…
आपको बता दें कि बीमार हुए बच्चों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। इन छात्रों की संख्या बढ़कर 106 हो गई है। इलाज के लिए उन्हें सावली ग्रामीन अस्पताल, उप जिला अस्पताल, चंद्रपुर जिला अस्पताल और गडचिरोली जिला अस्पताल भेजा गया। खिचड़ी में चना पुलाव और अंकुरित चना डाला गया था, और इसके बाद बच्चों को उल्टी और दस्त की शिकायतें होने लगी। शुरू में माता-पिता और छात्रों को समझ में नहीं आया कि अचानक यह समस्या क्यों आई, लेकिन जैसे ही बच्चों की संख्या बढ़ी, स्थिति गंभीर हो गई।

पुलिस और फूड विभाग ने शुरू की जांच
घटना के बाद शिक्षा विभाग, पुलिस और फूड विभाग की टीम ने जांच शुरू कर दी है। फूड विभाग ने स्कूल में मौजूद कच्चे अनाज और पानी के सैंपल को लैब में भेजा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि फूड प्वाइजनिंग का कारण क्या था। चंद्रपुर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन, डॉक्टर महादेव चिंचोले ने बताया कि सभी बच्चों का इलाज जारी है और स्थिति अब नियंत्रण में है।

मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता पर सवाल
यह घटना मध्याह्न भोजन योजना की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा करती है। जांच के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि किस कारण से इतनी बड़ी संख्या में बच्चे बीमार हुए। इस घटना में केवल बच्चे ही नहीं, बल्कि खाना बनाने वाली महिला भी बीमार हुई हैं, जिनका इलाज भी अस्पताल में चल रहा है। यह घटना छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है। इसके बाद इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए मिड डे मील की गुणवत्ता की जांच और कड़ी निगरानी की आवश्यकता है।

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