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अंतर्देशीय जलमार्गों के पुनरुद्धार के लिए 10 वर्षों में सरकार ने निवेश किए 6,000 करोड़ रुपये : केंद्रीय मंत्री

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि माल ढुलाई का एक वास्तविक विकल्प बनाने के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों के पुनरुद्धार में पिछले एक दशक में 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने संसद सत्र के दौरान कहा कि 1986 में.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि माल ढुलाई का एक वास्तविक विकल्प बनाने के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों के पुनरुद्धार में पिछले एक दशक में 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने संसद सत्र के दौरान कहा कि 1986 में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) की स्थापना के बाद से पिछले 28 वर्षों में इस क्षेत्र में मात्र 1,620 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 से जलमार्गों का कायाकल्प किया जा रहा है। तब तक, हमारे देश में केवल 5 राष्ट्रीय जलमार्ग थे। अब राष्ट्रीय जलमार्गों की संख्या बढ़कर 111 हो गई है। पिछले एक दशक में देश के अंतर्देशीय जलमार्गों के कायाकल्प के लिए 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है।‘

आंकड़े बढ़कर 2023-24 में 132.89 मिलियन मीट्रिक टन हो गई
इन जलमार्गों के माध्यम से ट्रांसपोर्ट किए गए माल की कुल मात्र 2013-14 के आंकड़े 18.07 मिलियन मीट्रिक टन (एमटी) से बढ़कर 2023-24 में 132.89 मिलियन मीट्रिक टन हो गई। इसमें 22.1 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षकि वृद्धि दर (सीएजीआर) से वृद्धि हुई है। सोनोवाल ने कहा, ‘हमने 2030 तक जलमार्गों के माध्यम से 200 मिलियन मीट्रिक टन माल की आवाजाही का लक्ष्य रखा है। 2047 के लिए कार्गो आवाजाही के लिए एक वास्तविक विकल्प के रूप में अंतर्देशीय जलमार्गों के विकास में विश्वास रखते हुए हमने 500 मिलियन मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा है और यह पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने में सार्थक योगदान देगा।’ भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों का एक बड़ा नेटवर्क है जिसमें नदियां, नहरें, बैकवाटर और खाड़ियां शामिल हैं। 20,236 किलोमीटर की कुल लंबाई के जलमार्गों में से 17,980 किलोमीटर नदियां हैं और 2,256 किलोमीटर नहरें हैं। भारत में संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए), चीन और यूरोपीय संघ जैसे देशों की तुलना में जलमार्गों के माध्यम से माल परिवहन काफी कम किया जाता है।

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