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पिछले 7 वर्षों में Bharatmala Pariyojana के तहत 18,714 किलोमीटर राजमार्गों का हुआ निर्माण : Nitin Gadkari

Nitin Gadkari : संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, भारतमाला परियोजना के तहत 31 अक्टूबर, 2024 तक कुल 26,425 किलोमीटर लंबाई वाली राजमार्ग परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और 18,714 किलोमीटर लंबाई वाले राजमार्गों का निर्माण किया गया है। भारतमाला परियोजना को भारत सरकार ने 2017 में मंजूरी दी थी, जिसमें देश में.

Nitin Gadkari : संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, भारतमाला परियोजना के तहत 31 अक्टूबर, 2024 तक कुल 26,425 किलोमीटर लंबाई वाली राजमार्ग परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और 18,714 किलोमीटर लंबाई वाले राजमार्गों का निर्माण किया गया है। भारतमाला परियोजना को भारत सरकार ने 2017 में मंजूरी दी थी, जिसमें देश में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने और लॉजिस्टिक लागत को कम करने के लिए 34,800 किलोमीटर की लंबाई वाले राजमार्गों का निर्माण शामिल है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस साल 30 अक्टूबर तक भारतमाला परियोजना के तहत 4.72 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बंदरगाह और तटीय संपर्क सड़क श्रेणी के तहत, 424 किलोमीटर लंबाई वाली 18 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और अब तक 189 किलोमीटर का निर्माण किया गया है।

भारतमाला योजना के तहत अलग-अलग परियोजनाएं गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सहित अलग-अलग तटीय राज्यों में विभिन्न प्रमुख और छोटे बंदरगाहों को कनेक्टिविटी प्रदान कर रही हैं। एक दूसरे सवाल के जवाब में नितिन गडकरी ने कहा कि पूवरेत्तर क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) पर 81,540 करोड़ रुपए की लागत से स्वीकृत कुल 3,856 किलोमीटर लंबाई वाली 190 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं।

सभी निर्माणाधीन कार्यों को सितंबर 2028 तक पूरा करने की योजना है। राज्य में सभी एनएच कार्यों के लिए राज्यवार और वर्षवार आवंटन किया जाता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान पूवरेत्तर क्षेत्र में एनएच कार्यों के लिए कुल 19,338 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए कदम उठाए गए हैं। इनमें भूमि अधिग्रहण को सुव्यवस्थित करना और विवाद समाधान मैकेनिज्म को नया रूप देना शामिल है।

भूमि अधिग्रहण, मंजूरी के मामले में पर्याप्त तैयारी के बाद ही परियोजनाएं आवंटित की जा रही हैं, ताकि बाद में होने वाली देरी से बचा जा सके। संबंधित मंत्रालयों और राज्य सरकारों के साथ कोर्डनिेशन किया जा रहा है और काम में तेजी लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर नियमित समीक्षा की जा रही है। कार्यक्षेत्र में बदलाव और समय विस्तार के प्रस्तावों को मंजूरी देने में भी तेजी लाई जा रही है।

केंद्रीय मंत्री ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा, ‘इसके अलावा, काम की मंजूरी से पहले नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप का वैल्यूएशन किया जा रहा है, ताकि मंजूरी से जुड़ी परियोजना के मुद्दों की पहले ही पहचान की जा सके और उनका समाधान पहले से ही निकाला जा सके।‘

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