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पूर्वोदय योजना की निगरानी करेगा Bhagalpur का बिहार कृषि विश्वविद्यालय

Bhagalpur : भारत सरकार की ओर से पूवरेदय योजना की जिम्मेदारी भागलपुर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय को सौंपी गई है। सरकार ने विश्वविद्यालय को नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया है। पूर्वी भारत के पांच राज्यों के विकास को ध्यान में रख सरकार ने इसे प्लान किया है। यह योजना बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल,.

Bhagalpur : भारत सरकार की ओर से पूवरेदय योजना की जिम्मेदारी भागलपुर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय को सौंपी गई है। सरकार ने विश्वविद्यालय को नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया है। पूर्वी भारत के पांच राज्यों के विकास को ध्यान में रख सरकार ने इसे प्लान किया है। यह योजना बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश (पांच राज्य) के विकास लिए भारत सरकार द्वारा बनाई गई है। इस बारे में जानकारी देते हुए भागलपुर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डॉ डी आर सिंह ने आईएएनएस को बताया, ‘नीति आयोग ने बिहार विश्वविद्यालय, सबौर को पूवरेदय योजना के तहत नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया है। यह योजना बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश सहित पूर्वी भारत के समग्र विकास के लिए तैयार की जा रही है। इस पहल का उद्देश्य पूर्वी भारत में कृषि, ग्रामीण और संबंधित क्षेत्रों में मौजूद विशिष्ट चुनौतियों और संभावनाओं का अध्ययन कर एक व्यापक योजना तैयार करना है। नीति आयोग ने बिहार विश्वविद्यालय के शोध में उत्कृष्टता और विशेषज्ञता को ध्यान में रखते हुए यह जिम्मेदारी सौंपी है।’

लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हस्तक्षेपों को सूचीबद्ध करना होगा
उन्होंने आगे कहा, ‘इस पहल का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विशेषज्ञ योजनाओं और पिछली योजनाओं के प्रदर्शन के आधार पर लक्ष्यों की पहचान करना और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हस्तक्षेपों को सूचीबद्ध करना होगा। बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में, मैं यह कहने में गर्व महसूस करता हूं कि यह नामांकन हमारे लिए एक सम्मान और जिम्मेदारी दोनों है। हम इस योजना को प्रभावी और टिकाऊ बनाने के लिए अपनी पूरी विशेषज्ञता और संसाधनों का उपयोग करेंगे। इस महत्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य पूर्वी भारत को विकास का इंजन बनाना और एक समृद्ध भारत की दिशा में काम करना है। यह पहल कृषि और ग्रामीण विकास में सुधार लाने के साथ-साथ क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने में भी मदद करेगी।’

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