नई दिल्ली : आजकल सोशल मीडिया पर अक्सर कुछ अजीबो-गरीब खबरें वायरल होती रहती हैं, जिनमें से कई खबरें हमें हैरान कर देती हैं। कुछ खबरों को सुनकर हम सोचते हैं कि क्या ऐसा सच में हो सकता है? कुछ ऐसा ही एक अजीब मामला हाल ही में सामने आया है, जिसने सबको चौंका दिया है। यह मामला तमिलनाडु के तिरुप्पुरुर स्थित एक मंदिर का है, जहां एक व्यक्ति का आईफोन दानपेटी में गिर गया, और जब उसने अपना फोन वापस मांगा, तो पुजारी ने इसे भगवान की प्रॉपर्टी मानते हुए वापस देने से इनकार कर दिया। आइए, जानते हैं इस मामले के बारे में विस्तार से।
कैसे हुआ यह अजीब मामला?
आपको बता दें कि यह घटना तिरुप्पुरुर के अरुलमिगु कंदस्वामी मंदिर की है। यहां पर दिनेश नामक एक व्यक्ति अपने परिवार के साथ पूजा करने आया था। पूजा के बाद, जब परिवार के अन्य सदस्य दानपेटी में दान डाल रहे थे, तब दिनेश भी अपनी शर्ट की जेब से पैसे निकालने लगा। उसी दौरान उसका आईफोन जेब से गिरकर दानपेटी में चला गया। चूंकि दानपेटी काफी ऊंचाई पर थी, दिनेश उसे वापस निकाल नहीं पाया।
पुजारी ने क्या कहा?
दिनेश ने तुरंत मंदिर के पुजारी को इस घटना के बारे में बताया और अपना फोन वापस मांगा, लेकिन पुजारी ने कहा कि अब वह फोन भगवान का हो गया है और इसे वापस नहीं किया जा सकता। पुजारी का कहना था कि जो भी चीज़ भगवान को अर्पित होती है, वह अब भगवान की संपत्ति बन जाती है।
मंदिर अधिकारियों ने क्या किया?
बता दें कि दिनेश ने इस मामले में मंदिर के अधिकारियों से भी मदद मांगी, लेकिन अधिकारियों ने भी वही कहा जो पुजारी ने कहा था। उन्होंने बताया कि दानपेटी को केवल दो महीने में एक बार खोला जाता है, और अब चूंकि फोन दानपेटी में गिर चुका है, वह भगवान की संपत्ति बन चुका है। हालांकि, अधिकारियों ने यह भी कहा कि दिनेश सिर्फ फोन का सिम कार्ड और डेटा निकाल सकता है, लेकिन फोन वापस नहीं मिलेगा।
मंदिर की परंपरा का पालन किया गया
मंदिर के कार्यकारी अधिकारी कुमारवेल ने इस पूरे मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि इस मंदिर में परंपरा है कि दानपेटी में गिरने वाली किसी भी चीज़ को भगवान की संपत्ति माना जाता है। इस परंपरा का पालन करते हुए दिनेश का फोन भी भगवान की संपत्ति मान लिया गया।
यह अजीब मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। लोग इसे एक मजेदार और हैरान करने वाली घटना मान रहे हैं। भले ही दिनेश का फोन गलती से दानपेटी में गिरा हो, लेकिन मंदिर प्रशासन ने अपनी परंपरा के अनुसार उसे भगवान की संपत्ति मान लिया। अब इस घटना से जुड़ी यह अजीब और दिलचस्प कहानी सभी के लिए एक चर्चा का विषय बन गई है।