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चंडीगढ़ MC बैठक में ‘वोट चोर के लगे नारे’, फिर हुई हाथापाई, आपस में भिड़े, AAP, कांग्रेस और BJP

पंजाब : चंडीगढ़ में हाल ही में नगर निगम की एक बैठक के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और बीजेपी के पार्षदों के बीच हिंसक झड़प हो गई। यह विवाद अंबेडकर पर हुई टिप्पणी को लेकर बढ़ा और हाथापाई की स्थिति तक पहुंच गया। इस घटना के बाद, सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें और.

पंजाब : चंडीगढ़ में हाल ही में नगर निगम की एक बैठक के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और बीजेपी के पार्षदों के बीच हिंसक झड़प हो गई। यह विवाद अंबेडकर पर हुई टिप्पणी को लेकर बढ़ा और हाथापाई की स्थिति तक पहुंच गया। इस घटना के बाद, सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो गए।

अंबेडकर विवाद पर हुआ विवाद

चंडीगढ़ नगर निगम के ऑफिस में कांग्रेस, AAP और बीजेपी के पार्षदों की एक बैठक हो रही थी। इस बैठक के दौरान, कांग्रेस और AAP के पार्षदों ने बाबा भीमराव अंबेडकर का मुद्दा उठाया। इन दोनों दलों ने आरोप लगाया कि गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में अंबेडकर का अपमान किया। इसके बाद, दोनों दलों ने प्रस्ताव पारित कर अमित शाह से इस्तीफे की मांग की।

बीजेपी का पलटवार

बीजेपी ने कांग्रेस और AAP के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि नेहरू के समय भी कांग्रेस ने अंबेडकर का अपमान किया था। यह आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला धीरे-धीरे बढ़ता गया और दोनों पक्षों के पार्षद आपस में भिड़ गए।

बढ़ते आरोप-प्रत्यारोप

कांग्रेस और AAP के पार्षदों ने बीजेपी नेता अनिल मसीह को “वोट चोर” कहकर आलोचना की। इस पर अनिल मसीह ने पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी जमानत पर बाहर हैं। इस बयान के बाद कांग्रेस के पार्षद भड़क गए, और दोनों गुटों के बीच हाथापाई शुरू हो गई।

अनिल मसीह से नाराजगी की वजह

इस घटना से पहले, जनवरी में चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव में बीजेपी नेता मनोज सोनकर को 16 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस और AAP के उम्मीदवार कुलदीप कुमार को 12 वोट मिले थे। इस चुनाव के दौरान, रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने 8 वोटों को अवैध करार दिया था। इसके बाद से ही कांग्रेस और AAP के पार्षदों के बीच अनिल मसीह के खिलाफ नाराजगी थी, जो इस विवाद की जड़ बन गई।

चंडीगढ़ नगर निगम की बैठक में पार्षदों के बीच मारपीट की यह घटना उस समय हुई जब राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप चरम पर थे। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि राजनीति में अक्सर मुद्दे और विचारधाराएं हाथापाई तक पहुंच सकती हैं।

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