असम : असम के दीमा हसाओ जिले में स्थित एक कोयला खदान में सोमवार को अचानक से पानी भरने के कारण 9 मजदूर खदान में फंस गए। यह घटना सोमवार को हुई थी, और तब से ही इन मजदूरों को बचाने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। हालांकि, अब तक किसी बड़ी कामयाबी का पता नहीं चल सका है। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
गोताखोरों ने एक शव बरामद किया
वहीं आज रेस्क्यू ऑपरेशन के तीसरे दिन बुधवार को एक बुरी खबर आई। सेना के गोताखोरों ने खदान के भीतर फंसे हुए नौ मजदूरों में से एक का शव बरामद किया है। इसके बाद अधिकारियों ने बताया कि अब बाकी 8 मजदूरों के जिंदा बचने की संभावना कम हो गई है। इस आपात स्थिति के मद्देनजर भारतीय नौसेना ने एक विशेष टीम को राहत और बचाव कार्य के लिए तैनात किया है। इस टीम में एक अधिकारी और 11 नाविक शामिल हैं, जिनमें गहराई में डाइविंग और रिकवरी में विशेषज्ञता रखने वाले क्लियरेंस डाइवर्स भी हैं। नौसेना की यह टीम उन्नत उपकरणों से लैस है, जिनमें डीप डाइविंग गियर और पानी के भीतर खोज व बचाव कार्यों के लिए रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (आरओवी) शामिल हैं।
रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी
हालांकि, रेस्क्यू ऑपरेशन में नौसेना, सेना, NDRF और SDRF की टीमों ने पूरे दमखम से काम करना जारी रखा है। एक अधिकारी ने बताया कि पिछले दिन भी कई प्रयास किए गए थे, लेकिन सफलता नहीं मिली। फिर एक संयुक्त टीम ने खदान में गोता लगाया और एक शव बरामद किया। अधिकारियों का कहना है कि रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहेगा और अन्य स्थानों पर भी गोताखोरी की जा रही है।
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा का अपडेट
वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने भी इस बचाव अभियान की स्थिति पर अपडेट दिया। उन्होंने बताया कि गोताखोरों ने खदान के तल से एक शव बरामद किया और उनकी प्रार्थनाएँ शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं। उन्होंने आगे कहा कि बचाव अभियान में सेना, एनडीआरएफ और नौसेना के गोताखोर लगातार खदान में उतर रहे हैं। सीएम हिमंत ने इस खदान को अवैध बताते हुए कहा कि पुलिस ने इस घटना से संबंधित एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है।
घटना का कारण
यह घटना सोमवार को हुई, जब दीमा हसाओ जिले के एक कोयला खदान में अचानक पानी भर गया, जिससे 9 मजदूर खदान में फंस गए। मुख्यमंत्री ने मजदूरों के नाम भी जारी किए थे, लेकिन अब तक उन शवों की पहचान नहीं हो पाई है। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है, और मजदूरों के परिवारों के लिए यह समय बेहद कठिन हो गया है।