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Delhi Assembly Elections : दिल्ली की वो हॉट सीट जिसने भी जीती बनीं उसी की सरकार, जानें इस सीट की खासियत

Delhi Assembly Elections : पटपड़गंज सीट दिल्ली विधानसभा चुनाव की हॉट सीट में शामिल है। डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया ने 2013, 2015 और 2020 में जीत हासिल की थी। फिर भी इस बार आम आदमी पार्टी (आप) ने उन्हें यहां से नहीं खड़ा किया गया। सिसोदिया को जंगपुरा सीट से उम्मीदवार बनाया गया। आइए.

Delhi Assembly Elections : पटपड़गंज सीट दिल्ली विधानसभा चुनाव की हॉट सीट में शामिल है। डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया ने 2013, 2015 और 2020 में जीत हासिल की थी। फिर भी इस बार आम आदमी पार्टी (आप) ने उन्हें यहां से नहीं खड़ा किया गया। सिसोदिया को जंगपुरा सीट से उम्मीदवार बनाया गया। आइए जानते हैं, क्या है इस सीट का समीकरण, क्या है खासियत और कैसा है पटपड़गंज का इतिहास?

पूर्वी दिल्ली की पटपड़गंज सीट से जुड़े दो मिथक बड़े रोचक हैं। पहला कि यहां बाहरियों पर स्थानियों ने भरपूर प्यार लुटाया, दूसरा जिस पार्टी के उम्मीदवार ने जीत हासिल की, उसकी सरकार ही बनी। पहली बार यानी 1993 में भाजपा के ज्ञान चंद जीते, वो भी बाहरी थे। इस क्षेत्र के नहीं, बल्कि कृष्णानगर के घोंडली के रहने वाले थे।

उसके बाद 1998, 2003, 2008 के तीन चुनाव में लगातार कांग्रेस को जीत मिली, तो कांग्रेस की 15 साल तक सरकार रही। उसके बाद 2013, 2015 और 2020 में नई नवेली पार्टी आप की झाड़ू चली। मनीष सिसोदिया लगातार जीतते रहे और सत्ता में भी आम आदमी पार्टी का कब्जा रहा। कुल मिलाकर 1993 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव से लेकर साल 2020 तक ऐसा हुआ ही नहीं कि सीट पर किसी स्थानीय नेता का सिक्का जमा हो। बाहरी ही बाजी मार पाए। 1993 से लेकर 2008 तक आरक्षित सीट थी, बाद में परिसीमन के बाद सामान्य हो गई। यहां पूर्वांचल और उत्तराखंड के लोगों की आबादी ठीक-ठाक है। यही वजह है कि उत्तराखंड मूल के भाजपा प्रत्याशी रविंदर सिंह नेगी ने मनीष सिसोदिया को तगड़ी टक्कर दी और सिसोदिया के जीत के आंकड़े को कम कर दिया।

भारत की 2001 की जनगणना के अनुसार, पटपड़गंज की आबादी लगभग 34,409 थी, जिसमें 55% पुरुष और 45% महिलाएं थीं। औसत साक्षरता दर 70% दर्ज की गई, जिसमें पुरुष साक्षरता 74% और महिला साक्षरता 64% थी। वहीं स्टेट इलेक्शन कमीशन परिसीमन ड्राफ्ट 2022 के मुताबिक कुल आबादी 2,21,317 21317 है और 30,305 अनुसूचित जाति की संख्या है। पिछले 2 चुनावों के नतीजे बाहरी के नाम ही रहे। बाहरी यानि मनीष सिसोदिया। जो पूर्वी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में रहते थे। उन्होंने 2020 में 70,163 वोटों के साथ जीत हासिल की। दूसरे नंबर पर भाजपा के रविंदर सिंह नेगी रहे, जिन्हें 66,956 वोट मिले। वहीं कांग्रेस के लक्ष्मण रावत को 2,802 वोट हासिल हुए।

इससे पहले भी मनीष ने ही जीत का परचम लहराया था। 2015 में सिसोदिया ने 75,477 वोट हासिल किए। बीजेपी के विनोद कुमार बिन्नी को 46,716 और कांग्रेस के अनिल कुमार को 16,260 वोट मिले थे। 2013 में भी मनीष सिसोदिया ही जीते थे। मुख्यमंत्री के बाद वह दिल्ली सरकार में नंबर-दो रहे।

वैसे ये सीट किसी जमाने में जंग का मैदान भी रही थी। मराठा और अंग्रेजों के बीच इसी जमीन पर लड़ाई लड़ी गई। अक्सर अटपटा नाम लोगों के जेहन को भी कुरेदता है। दरअसल, पटपड़गंज एक उर्दू शब्द है। पटपड़ का मतलब जमीन का निचला सपाट हिस्सा होता है, जहां खेती नहीं की जा सकती और गंज का अर्थ बाजार होता है। यानी वो इलाका जहां खेती नहीं हो सकती और व्यापार हो सकता है। आज भी इस इलाके में कई फैक्ट्रियां हैं, जो कइयों को रोजगार देती हैं।

मुद्दों की बात करें तो सुरक्षा, पार्किंग, अतिक्रमण, साफ-सफाई, आवारा पशु अहम हैं। विधानसभा क्षेत्र में नगर निगम के चार वॉर्ड मंडावली, विनोद नगर, मयूर विहार फेज दो और पटपड़गंज आते हैं। दिलचस्प बात ये है कि चार में से तीन पर भाजपा के पार्षद हैं। लगभग 15 अवैध कॉलोनियां और तीन गांव इस पूर्वी दिल्ली क्षेत्र में आते हैं। 50 से ज्यादा ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज हैं, तो वहीं झुग्गी झोपड़ी और कुछ रेसिडेंशियल कॉलोनियां भी हैं। इन सब किंतु परंतु और समीकरणों के बीच आप ने फिर बाहरी अवध ओझा को टिकट थमाया है। कांग्रेस ने अनिल चौधरी को तो भाजपा ने रविंद्र नेगी को, जिन्होंने सिसोदिया को कड़ी टक्कर देते हुए जीत के मार्जिन को कम कर दिया था।

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