नेशनल डेस्क : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) मिशन अपने लक्ष्य के बेहद करीब पहुंचने के बावजूद सफल नहीं हो पाया। इस मिशन का उद्देश्य दो सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में जोड़ना था, लेकिन तकनीकी कारणों से डॉकिंग प्रक्रिया को रोकना पड़ा। यहां हम आपको इस मिशन की पूरी जानकारी दे रहे हैं।
स्पेस डॉकिंग क्या है?
आपको बता दें कि स्पेस डॉकिंग एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें दो सैटेलाइट्स या अंतरिक्ष यानों को एक-दूसरे से जोड़ा जाता है। यह प्रक्रिया बहुत सटीकता की मांग करती है, क्योंकि सैटेलाइट्स के बीच की दूरी और दिशा में कोई भी भटकाव डॉकिंग को नाकाम कर सकता है।
तीसरी कोशिश में क्या हुआ?
ISRO ने 12 जनवरी को अपनी स्पेस डॉकिंग प्रक्रिया की तीसरी कोशिश की। इस बार, दोनों सैटेलाइट्स को करीब 15 मीटर की दूरी पर लाया गया। इस स्थिति में, दोनों सैटेलाइट्स एक-दूसरे के मिलन के लिए तैयार थे। इसके बाद, उनकी दूरी को 3 मीटर तक लाने की कोशिश की गई, लेकिन तकनीकी कारणों से डॉकिंग को रोकना पड़ा।
पिछली कोशिश में क्या दिक्कत आई थी?
पहली और दूसरी कोशिश में भी डॉकिंग को सफल नहीं बनाया जा सका। 9 जनवरी को जब दोनों सैटेलाइट्स के बीच की दूरी 230 मीटर थी, तो सैटेलाइट्स के भटकने (ड्रिफ्ट) के कारण मिशन को टालना पड़ा। ड्रिफ्ट यानी सैटेलाइट्स का दिशा से भटकना डॉकिंग प्रक्रिया को पूरी तरह से प्रभावित कर सकता है।
इस बार क्या दिक्कत आई?
इस बार जब सैटेलाइट्स की दूरी 15 मीटर तक लायी गई, तब वैज्ञानिकों ने सुनिश्चित किया कि दोनों सैटेलाइट्स की दिशा में कोई भटकाव न हो। हालांकि, एक महत्वपूर्ण सेंसर से सिग्नल मिलने में देरी हो गई। इसके कारण, दोनों सैटेलाइट्स को एक दूसरे से सुरक्षित दूरी पर वापस ले लिया गया। इस प्रक्रिया में, प्रोक्सिमिटी और डॉकिंग सेंसर में गड़बड़ी देखी गई। इन सेंसरों का काम सैटेलाइट्स के पास आने पर उन्हें ठीक से जोड़ना होता है। जब इनमें कोई गड़बड़ी होती है, तो सैटेलाइट्स के ऑन बोर्ड सिस्टम्स खुद ब खुद सक्रिय हो जाते हैं और सुरक्षा के लिए उन्हें सुरक्षित दूरी पर ले जाते हैं।
डॉकिंग की अगली कोशिश कब होगी?
ISRO के सूत्रों के अनुसार, इस समय सेंसर की गड़बड़ी का विश्लेषण किया जा रहा है। इसके बाद ही अगली डॉकिंग कोशिश की जाएगी। इस दौरान, आज शाम को जब सैटेलाइट्स एक बार फिर ISRO के ग्राउंड स्टेशन के ऊपर से गुजरेंगे, तो डॉकिंग की एक नई कोशिश की जा सकती है। अगर तब तक सेंसर की गड़बड़ी को ठीक नहीं किया जा पाता, तो अगली कोशिश के लिए मार्च तक इंतजार करना पड़ सकता है, क्योंकि कुछ दिनों के बाद इन सैटेलाइट्स की विजिबिलिटी भारत के ग्राउंड स्टेशन से नहीं मिल पाएगी।
स्पेस डॉकिंग मिशन में कई चुनौतियां होती हैं, और ISRO के वैज्ञानिक इन समस्याओं का समाधान करने में पूरी मेहनत कर रहे हैं। हालाँकि, इस बार डॉकिंग सफल नहीं हो पाई, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि सही समय आने पर इसे सफलतापूर्वक पूरा किया जा सकेगा।