नेशनल डेस्क : दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले ताहिर हुसैन, जो AIMIM के उम्मीदवार और दिल्ली दंगों के आरोपी हैं, को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ ने उनकी अंतरिम जमानत की याचिका पर अलग-अलग आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पंकज मिथल ने ताहिर हुसैन को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि जमानत के लिए उचित कारणों और सबूतों की जरूरत है, और ताहिर को इस समय अंतरिम राहत नहीं मिल सकती।
न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह का अलग रुख
वहीं, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने ताहिर हुसैन को दिल्ली चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने का समर्थन किया। उनका मानना था कि ताहिर को चुनाव प्रचार के लिए जमानत दी जा सकती है। चूंकि दो न्यायाधीशों की पीठ के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई, अब सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की बेंच इस मामले पर अंतिम फैसला करेगी। यह बेंच यह तय करेगी कि क्या ताहिर हुसैन को चुनाव प्रचार के लिए जमानत दी जाए या नहीं।
ताहिर हुसैन का राजनीतिक पक्ष
आपको बता दें कि ताहिर हुसैन को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद से उम्मीदवार बनाया है। ताहिर ने अपनी जमानत की याचिका में अदालत से चुनाव प्रचार की अनुमति देने की मांग की है, जबकि वे फिलहाल जेल में बंद हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दिल्ली पुलिस से यह सवाल पूछा कि अगर ताहिर हुसैन को दिल्ली दंगों के 9 मामलों में जमानत मिल चुकी है, तो केवल एक मामले में क्यों नहीं चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जा सकती? दिल्ली पुलिस के वकील ने इस सवाल का जवाब देने के लिए समय मांगा।
ताहिर हुसैन के वकील का तर्क
वहीं ताहिर हुसैन के वकील ने कहा कि ताहिर को तीन साल से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया है, और इस मामले के बाकी आरोपियों को नियमित जमानत मिल चुकी है। इसके बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की चार्जशीट का हवाला देते हुए ताहिर के खिलाफ गवाहों के बयान का जिक्र किया, जिसमें आरोप था कि ताहिर ने हिंसा के लिए भीड़ को उकसाया था।
सुप्रीम कोर्ट का सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन से यह भी पूछा कि वे जमानत के बजाय केवल अंतरिम जमानत पर क्यों जोर दे रहे हैं। जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि चुनाव प्रचार के अलावा जीवन में और भी महत्वपूर्ण चीजें हो सकती हैं, और हमें आपको सिर्फ चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने में कोई रुचि नहीं है। दरअसल, ताहिर हुसैन लगभग 4 साल 9 महीने से जेल में बंद हैं। वे दिल्ली दंगों में प्रमुख आरोपी हैं, और अब चुनाव प्रचार के लिए जमानत की उम्मीद लगाए हुए हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की अंतिम फैसला तीन न्यायाधीशों की पीठ करेगी। यह ताहिर हुसैन के लिए महत्वपूर्ण निर्णय साबित हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी राजनीतिक और कानूनी स्थिति पर असर पड़ेगा।