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स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में कीर्तिमान बनाते चीन और भारत

China and India Create Records : दुनिया की तेजी से बढ़ती एशिया की दो अर्थव्यवस्थाएं चीन और भारत ने जलवायु परिवर्तन को लेकर जिस तरह की चिंता दिखाई है, वैसी चिंता पश्चिमी देशों में भी कम दिख रही है। दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था चीन इस दिशा में कहीं ज्यादा संजीदा और सचेत नजर आ.

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China and India Create Records : दुनिया की तेजी से बढ़ती एशिया की दो अर्थव्यवस्थाएं चीन और भारत ने जलवायु परिवर्तन को लेकर जिस तरह की चिंता दिखाई है, वैसी चिंता पश्चिमी देशों में भी कम दिख रही है। दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था चीन इस दिशा में कहीं ज्यादा संजीदा और सचेत नजर आ रही है। चीन ने जलवायु परिवर्तन को लेकर जारी वैश्विक चिंता के बीच अपने औद्योगिक क्षेत्रों को स्वच्छ ऊर्जा के साथ सतत विकास की ओर ले जाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।

चीन ने विशेषकर रसायन, इस्पात, अमोनिया और सीमेंट जैसे क्षेत्रों में सतत ऊर्जा को बढ़ावा देना तेज कर दिया है, जबकि इन क्षेत्रों में ऊर्जा की ज्यादा खपत होती है। इसी तरह कम ऊर्जा खपत वाले मशीनरी, खनन और वस्त्र उद्योग में भी ऐसी ही तेजी दिखा रहा है। हालांकि 2020 के आंकड़ों के लिहाज से चीन के कुल कार्बन उत्सर्जन में इनका हिस्सा एक तिहाई हिस्सा था। चीन द्वारा अब तक स्वच्छ ऊर्जा के लिए जो घोषणाएं की हैं, उसकी वजह से साल कार्बन उत्सर्जन में तेजी आने की उम्मीद बढ़ गई है। हाल के वर्षों में, चीनी सरकार ने उद्योगों में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने में तेजी दिखाई है। चीन की बदली नीतियों की वजह से देश में टिकाऊ औद्योगिक विकास मॉडल स्थापित हो रहा है। 

चाइना सेंटर फॉर इन्फॉर्मेशन इंडस्ट्री डेवलपमेंट के उपाध्यक्ष तथा उद्योग एवं सूचना प्रौद्योगिकी में कार्बन पीक और कार्बन तटस्थता अनुसंधान केंद्र के निदेशक लियू वेनकियांग के अनुसार, “चीन का औद्योगिक हरित विकास मुख्य रूप से दोहरे कार्बन लक्ष्यों से प्रेरित है, जिसमें नया औद्योगिकीकरण एक प्रमुख रणनीति है।” उनका कहना है कि औद्योगिक हरित नीतियों को परिष्कृत करने से औद्योगिक उन्नयन में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है, संसाधनों के चक्रीय उपयोग को बढ़ावा मिला है तथा उत्पाद और उपकरण आपूर्ति की स्थिरता में वृद्धि हुई है। स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए चीन मुख्यत: दो बिंदुओं पर फोकस कर रहा है। चीन ने अपने यहां हरित बिजली की खपत बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। इसके तहत औद्योगिक क्षेत्रों में कम कार्बन विकास के लिए हरित ऊर्जा की खपत का विस्तार करना महत्वपूर्ण है। चीन ने इसके लिए हरित ऊर्जा और हरित विद्युत प्रमाणपत्र यानी जीईसी व्यापार बाजारों को बढ़ावा देकर हरित ऊर्जा की खपत में वृद्धि के साथ ही विद्युत बाजार की गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। इसके साथ ही बाजार में भागीदारी को प्रोत्साहित करने और हरित ऊर्जा लेनदेन को सुविधाजनक बनाने के लिए बिजली, कार्बन उत्सर्जन और जीईसी के लिए परस्पर जुड़े तंत्र की स्थापना भी कर रहा है। चीन ने इसके लिए अपने यहां की अंतर-प्रांतीय व्यापारिक बाधाओं को दूर करने और राष्ट्रव्यापी विद्युत संसाधन आवंटन को अनुकूल बनाने के लिए एक राष्ट्रीय समन्वय निकाय की स्थापना कर चुका है। चीन ने इसके साथ ही अंतर-क्षेत्रीय विद्युत संसाधन आवंटन और व्यापार में दक्षता बढ़ाने के लिए पारदर्शी और उचित ट्रांसमिशन मूल्य निर्धारण प्रणाली को भी लागू किया है। चीन ने दीर्घकालिक उपायों के लिहाज से हरित ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने के लिए दीर्घकालिक, लचीले विद्युत खरीद समझौतों का भी विकास कर रहा है। 

इसके साथ ही, चीन अपने यहां औद्योगिक ऊर्जा भंडारण को बढ़ावा दे रहा है। इसके तहत भंडारण परियोजनाओं के विकास और संचालन को सुचारू बनाने तथा संसाधनों की बर्बादी को रोकने के लिए जहां चीन में राष्ट्रीय औद्योगिक ऊर्जा भंडारण की योजनाएं तेजी से लागू की जा रही हैं, वहीं उनमें समन्वय बनाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। चीन ने स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए 

ऊर्जा भंडारण सुविधाओं के लिए राजस्व स्रोतों का पता लगाने और उनमें विविधता लाने के लिए विद्युत स्पॉट बाजार एकीकरण में भी तेजी लायी जा रही है। चीन को पता है कि अगर स्वच्छ ऊर्जा की लागत और उपलब्धता कम नहीं होगी तो उसका उपयोग बढ़ेगा नहीं। इसीलिए चीन में स्वच्छ ऊर्जा की लागत कम करने और ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए भंडारण प्रणालियों और आखिरी छोर पर उपयोगकर्ताओं के बीच सीधा लेनदेन के लिए मॉडल बनाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। 

चीन अपनी ऊर्जा खपत का आधुनिकीकरण भी तेजी से कर रहा है। इसके लिए चीन विश्व आर्थिक मंच की ओर से उपलब्ध एक्सेंचर के सहयोग से समन्वित ऊर्जा उपभोग को जहां बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है, वहीं आधुनिकीकरण के तहत नवीन ऊर्जा की मानक खरीद विधि, विद्युतीकरण के साथ औद्योगिक ऊर्जा उपभोग को पारदर्शी तरीके से बढ़ाने पर भी चीन में नीतिगत तौर पर काम हो रहा है। चीन ने नवीन और स्वच्छ ऊर्जा के लिए पिछले दिनों श्वेत पत्र भी जारी किया था जिसमें  हरित ऊर्जा खरीद और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए  नीतिगत विकल्पों की भी बात की गई थी। दस बिंदु के इन नीतिगत विकल्पों के जरिए उम्मीद की जा रही है कि चीन के औद्योगिक क्षेत्रों के सतत परिवर्तन को जहां बढ़ावा मिलेगा, वहीं, दुनिया भर में सतत प्रथाओं के लिए एक बेंचमार्क भी स्थापित करेगा।

इन उपायों के जरिए चीन ने कार्बन तटस्थता के लिए ठोस आधार बनाने और वैश्विक ऊर्जा के लिए चीनी समाधान की दिशा में व्यवसायों, सरकारी एजेंसियों और बहुपक्षीय संगठनों का एक नेटवर्क भी स्थापित किया है। चीन अक्षय ऊर्जा के उत्पादन में दुनिया में सबसे आगे है। चीन में अक्षय ऊर्जा से बिजली का उत्पादन बढ़ता जा रहा है। साल 2021 में, चीन में अक्षय ऊर्जा से उत्पादित बिजली का हिस्सा करीब 30 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 35 प्रतिशत हो गया है। जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी सोलर ऊर्जा की है।  चीन में अक्षय ऊर्जा के उत्पादन के लिए जलविद्युत, पवन, सौर, और बायोमास जैसे संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है। 

चीन में अक्षय ऊर्जा उत्पादन की क्षमता किसी भी दूसरे देश से तीन गुना ज़्यादा है। चीन में पवन और सौर ऊर्जा के उत्पादन में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही चीन में बायोमास का भी इस्तेमाल अक्षय यानी स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है। चीन में अक्षय ऊर्जा के उत्पादन के लिए भूतापीय और महासागर जैसी ऊर्जा का भी इस्तेमाल किया जाता है। 

जहां तक भारत की बात है तो वह भी स्वच्छ ऊर्जा को वह अपने स्थायी भविष्य की ओर बड़ा कदम मानता है। इसके तहत भारत नवीकरणीय ऊर्जा यानी आरई क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है। वर्ष 2024 में देश ने सौर और पवन ऊर्जा प्रतिष्ठानों, नीतिगत प्रगति और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए महत्वपूर्ण प्रगति की, जिससे वर्ष 2025 में महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के लिए मंच तैयार हो गया। भारत ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा क्षमता हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई है। इस दिशा में वह तेजी से काम कर रहा है। यहां ध्यान देने की बात है कि 20 जनवरी 2025 तक भारत की कुल स्वच्छ ऊर्जा क्षमता 217.62 गीगावाट तक पहुंच गई है। वर्ष 2024 में रिकॉर्डतोड़ 24.5 गीगावाट सौर क्षमता और 3.4 गीगावाट पवन क्षमता जोड़ी गई, जो 2023 की तुलना में सौर प्रतिष्ठानों में दोगुने से अधिक वृद्धि और पवन प्रतिष्ठानों में 21 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है। भारत में यह बढ़ोतरी सरकारी प्रोत्साहन, नीतिगत सुधारों और घरेलू सौर और पवन टरबाइन विनिर्माण में बढ़े हुए निवेश के कारण संभव हुआ। भारत की अक्षय ऊर्जा वृद्धि में सौर ऊर्जा प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में बनी रही, जो कुल स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता का 47 प्रतिशत है। पिछले साल 18.5 गीगावाट सौर क्षमता की स्थापना हुई, जो 2023 की तुलना में लगभग 2.8 गुना अधिक है। भारत के रूफटॉप सोलर सेक्टर में भी 2024 में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जिसमें 4.59 गीगावॉट की नई क्षमता स्थापित की गई जो वर्ष 2023 से 53 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। वर्ष 2024 में शुरू की गई पीएम सूर्य घर: मुफ़्त बिजली योजना ने इस विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे दस महीनों के भीतर 7 लाख रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन की सुविधा मिली। इसके अतिरिक्त, ऑफ-ग्रिड सोलर सेगमेंट में 182 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो 2024 में 1.48 गीगावॉट जोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में भारत के ऊर्जा पहुंच लक्ष्यों को आगे बढ़ाता है।

भारत ने 2024 में 3.4 गीगावाट नई पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी। इन राज्यों ने नई पवन ऊर्जा क्षमता में 98 प्रतिशत की वृद्धि की, जो पवन ऊर्जा उत्पादन में उनके निरंतर बढोतरी को दर्शाता है। भारत सरकार के  नीतिगत हस्तक्षेप और वित्तीय सहायता ने नवीकरणीय ऊर्जा विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके तहत हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा मिला है। इस उभरते क्षेत्र में लागत कम करने और निवेश आकर्षित करने के लिए हरित हाइड्रोजन नीतियों के विकास को निरंतर आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही, घरेलू सौर पीवी और पवन टरबाइन विनिर्माण को बढ़ावा मिल रहा है। भारत ने ग्रिड अवसंरचना का विकास भी किया है। भारत का अक्षय ऊर्जा क्षेत्र परिवर्तनकारी दिशा में बढ़ रहा है। जिसमें 2024 में रिकॉर्ड क्षमता वृद्धि और नीतिगत प्रगति का वर्ष रहा। साल 2025 में भारत के लिए विनियामक, वित्तीय और अवसंरचनात्मक चुनौतियों का समाधान करना महत्वपूर्ण होगा। जिसमें निरंतर नीतिगत समर्थन, बढ़े हुए निवेश और उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही भारत अपने महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक ग्लोबल लीडर के रूप में अपने को मजबूत करने के लिए अच्छी स्थिति में है।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग) (लेखक— उमेश चतुर्वेदी)

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